तीन चीजों को त्यागने का संदेश देता है आस्था, उमंग का यह उत्सव हरियाली तीज


हरियाली तीज आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का उत्सव है। भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला यह त्योहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरियाली तीज को श्रावण तीज नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 जन्म लिए। मां पार्वती को 108वें जन्म में भगवान शिव ने पत्नी के रूप में स्वीकारा।


इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और सुहागिनों को आशीर्वाद देती हैं। अविवाहित युवतियां मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं। तीज पर तीन चीजें त्यागने का विधान है। पति से छल-कपट और झूठ, दुर्व्यवहार एवं परनिंदा। इस त्योहार पर विवाहिताएं सोलह शृंगार कर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा शृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने की परंपरा है। इस त्योहार पर हाथों पर मेंहदी लगाना सुख-समद्धि का प्रतीक माना जाता है। माता पार्वती को शृंगार की सामग्री और भगवान शिव को बेल पत्र एवं पीला वस्‍त्र अर्पित किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए वस्त्र धारण करने चाहिए। शृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए।


इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।