रेलवे के अस्पताल को बंद करने की योजना


मुरादाबाद । लम्बे घाटे में चल रहे रेल मंत्रालय को उबारने के लिए नित नये उपाय कर रहा मंत्रालय अब आगत कम होने और लागत अधिक होने के कारण रेलवे अस्पतालों को बंद करने वाला है। यहां पर सभी चिकित्सकीय सुविधा नहीं होने और खर्च अधिक होने को लेकर रेलवे बोर्ड रेलवे इनको बंद करने पर विचार कर रहा है।


रेल मंत्रालय की मनचाही चिकित्सा सुविधा से वंचित रहने वाले रेलकर्मी और उसके परिवार वालों को अब अपनी पसंद के अस्पताल में इलाज कराने की छूट देने की योजना है। इसके लिए हेल्थ इंश्योरेंस योजना लागू होगी, जिसमें इलाज कराने की अनलिमिटेड छूट होगी। रेल कर्मचारी देश के किसी भी बड़े अस्पताल में जाकर अपना या परिवार वालों का इलाज करा पाएंगे। 


रेलवे को देशभर के रेलवे अस्पताल चलाने में करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। बावजूद इसके सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से गंभीर रोगियों को इलाज के लिए निजी अस्पताल भेजना पड़ता है। इसके एवज में निजी अस्पताल संचालकों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया जाता है। रेलवे बोर्ड ने इस खर्च को कम करने की योजना तैयार की है।


रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर (वेलफेयर) आशुतोष गर्ग ने चार अगस्त को देश के सभी रेलवे जोनल और रेल मंडल के अधिकारियों को पत्र भेज दिए हैं, जिसमें कहा है कि रेलवे अस्पताल को बंद पर विचार किया जा रहा है। इसके स्थान पर रेल कर्मचारियों व उसके परिवार वालों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की सुविधा उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। सभी से इस संबंध में सुझाव सोमवार तक मांगे हैं। सुझाव का बोर्ड स्तर अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद इस बारे में फैसला लिया जाएगा।


नई व्यवस्था में यह रहेगी सुविधा


हेल्थ इंश्योरेंस की व्यवस्था लागू होने के बाद दूरदराज में कार्यरत रेलकर्मियों को इलाज कराने मंडल मुख्यालय या बड़े स्टेशनों के रेल अस्पताल आने की अवश्यकता नहीं होगी। निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए रेलवे अस्पताल के चिकित्सकों से अनुमति लेने की आवश्यता नहीं होगी। अपर मंडल रेल प्रबंधक एमएस मीना ने बताया कि रेलवे बोर्ड से पत्र आने के बाद मंडल रेल प्रशासन की ओर से सुझाव भेज दिए हैं। बोर्ड के अगले आदेश पर ही कॢमयों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस योजना शुरू की जाएगी।