अच्‍छा है यह ग्रह तो इकलौती संतान होते हैं ऐसे लोग


शुभ शनि पर्वत वाले स्त्री-पुरुष प्रायः अपने माता-पिता के एकलौती संतान होते हैं। इनके जीवन में प्रेम का सर्वोपरि महत्व होता है। ऐसे लोगो में बुढापे तक प्रेम में रुचि बनी रहती है, किंतु इससे अधिक आनंद उन्हें प्रेम का नाटक रचने में आता है। उनका यह नाटक छोटी आयु से ही प्रारंभ हो जाता है। ऐसे लोग स्वभाव से संतोषी और कंजूस होते हैं। कला क्षेत्रों में इनकी रुचि संगीत में विशेष होती है। यदि वह लेखक हैं तो धार्मिक रहस्यवाद उनके लेखन का विषय होता है। अविकसित शनि पर्वत होने पर मनुष्य एकांतप्रिय अपने कार्यों अथवा लक्ष्य में इतना तनमय हो जाते हैं कि घर-गृहस्थी की चिंता नहीं करते। ऐसे मनुष्य चिड़चिडे और शंकालु स्वभाव के हो जाते हैं तथा उनके शरीर में रक्त वितरण कमजोर होता है। उनके हाथ-पैर ठंडे होते हैं और उनके दांत कमजोर होते हैं। दुघर्टनाओं में अधिकतर उनके पैरों और नीचे के अंगों में चोट लगती है। वे अधिकतर निर्बल स्वास्थ्य के होते हैं। यदि हृदय रेखा भी जंजीर के आकार की हो तो मनुष्य की वाहन दुर्घटना में मृत्यु भी हो जाती है।


शनि क्षेत्र पर भाग्‍य रेखा कही जाने वाली शनि रेखा समाप्‍त होती है। इस पर शनिवलय भी मिलती है। शुक्रवलय इस पर्वत को घेरती हुई निकलती है। इसके अतिरिक्त हृदय रेखा इसकी निचली सीमा को छूती है। यदि रेखायें गुरु पर्वत की ओर जा रही हों तो मनुष्य को सार्वजनिक मान-सम्मान प्राप्त होता है। इस पर्वत पर बिन्दु जहां दुर्घटना सूचक चिन्ह है वही क्रास मनुष्य को संतति उत्पादन की क्षमता को विहीन करता है। नक्षत्र की उपस्थिति उसे हत्या या आत्महत्या की ओर प्रेरित कर सकती है। वृत का होना इस पर्वत पर शुभ होता है और वर्ग का चिन्ह होना अत्यधिक शुभ लक्षण है। ये घटनाओं और शत्रुओं से बचाव के लिए सुरक्षा सूचक है, जबकि जाल होना अत्यधिक दुर्भाग्य का लक्षण है।


(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)