सरकारी अस्पतालों में 80 प्रतिशत लोगों को दी जाने वाली दवा जांच में फेल


लखनऊ I सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दर्द से निजात दिलाने वाला इंजेक्शन जांच में फेल हो गया है। करीब 70 से 80 प्रतिशत मरीजों को दी जाने वाली गैस की दवा भी मानकों पर खरी नहीं उतरी। आनन-फानन अफसरों ने दोनों दवाओं के वितरण पर रोक लगा दी है।


सरकारी अस्पतालों में उप्र मेडिकल सप्लाईज कारपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से दवा की आपूर्ति होती है। मेसर्स पुष्कर फार्मा भंडारीवाला खेरीकला अम्बड ने इंजेक्शन ट्रेमोडॉल हाइड्रोक्लोराइड (बैच नम्बर टीआरएम-216ए) की आपूर्ति की। 14 फरवरी को औषधि निरीक्षक ने बरेली सीएमओ के मुख्य औषधि भंडार से नमूना लिया। 20 मई को जांच रिपोर्ट आई। जिसमें नमूना जांच में फेल मिला।


गैस की दवा फेल
इसी तरह ओपीडी व भर्ती मरीजों को दी जाने वाली गैस की दवा ओमीप्रोजोल भी मानकों के अनुरूप नहीं मिली है। मेसर्स सुपर फार्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड ओमीप्रोजोल (बैच नम्बर ओएमयू 27)  की आपूर्ति की थी। इसका नमूना हाथरस के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एकत्र किया गया था। जांच में नमूना फेल हो गया।
कारपोरेशन में गुणवत्ता नियंत्रक के प्रबंधक ने 29 जून को अस्पतालों को पत्र जारी कर संबंधित बैच के इंजेक्शन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इसी तरह ओमीप्रोजोल के संबंधित बैच का वितरण रोक दिया है। दोनों दवाएं वापस मंगाने के निर्देश दिए गए हैं।


गरीब मरीजों की जान सांसत में
अब तक कई दवाएं जांच में फेल हो चुकी हैं। कुछ कंपनियों को फेल होने वाली दवा के लिए काली सूची में भी डाला जा चुका है। इसके बावजूद दवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। इसकी वजह से गरीब मरीजों की जान सांसत में पड़ गई है। करोड़ों रुपये का बजट होने के बावजूद दवा की जांच वितरण से पहले नहीं हो पा रही है।