सावधान ! एप पर प्रतिबंध के बावजूद भी हमारी हर हरकत पर ड्रैगन की निगहबानी


लखनऊ । चीन के एप प्रतिबंधित होने के बाद क्या हम सुरक्षित हैं। बिल्कुल नहींं न हम सुरक्षित हैं, न हमारा डेटा और न ही सूचनाएं। हमने खुद ही अपने घरों, सड़कों व चौराहों पर चीन के एजेंट तैनात किए हैं। जो हर वक्त हमारी तस्वीरें व अहम जानकारियों को बीजिंग तक पहुंचाते हैं। ये एजेंट कोई और नहीं सीसीटीवी हैं। पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों, बैंकों, रेलवे, एयरपोर्ट पर लगे यह कैमरे आइपी एड्रेस के जरिये सारी तस्वीरें व डेटा चीन पहुंच रहा है। 


देश में सीसी कैमरे व इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी सिस्टम के 90 फीसद बाजारों पर चीन का कब्जा है। प्रतिमाह लखनऊ में इसका बाजार करीब तीन करोड़ का है। जबकि उप्र में 100 करोड़ व देश में लगभग दो हजार करोड़ रुपये का कारोबार है। इतना ही नहीं पुलिस, बैंक व लखनऊ में आर्मी सेंट्रल कमांड के पास लगाए गए सीसीटीवी सिस्टम चीन के बने हुए हैं, जिसमें सिक्योरिटी सुरक्षित नहीं है। साइबर विशेषज्ञ बताते हैं कि मोबाइल एप को हटाना आसान है मगर सीसी कैमरे से निजात पाना बहुत मुश्किल होने की आशंका है।


कैमरे खरीदते वक्त उसके निर्माता व सप्लायर के बारे में लें जानकारी


ऐसे में मोबाइल और सर्च इंजन के बाद चीन के सीसी कैमरे पर भी सवाल उठने लगे हैं। इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि सीसी कैमरे खरीदते वक्त उसके निर्माता और सप्लायर के बारे में जानकारी अवश्य लें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप पैसे देकर अपनी जासूसी का सामान खरीद रहे हैं।


जो भी आइओटी पर आधारित है उसका डेटा असुरक्षित


साइबर विशेषज्ञ अनुज अग्रवाल बताते हैं कि जो कुछ भी इंटरनेट ऑफ ङ्क्षथग्स (आइओटी) पर आधारित उपकरण हैं, उनका डेटा आइपी एड्रेस से जुड़ा होता है। इसके आधार पर वह किसी न किसी सर्वर पर जरूर असुरक्षित होता है। वहां इसका दुरुपयोग होने की भी संभावना है। भारत में सीसी कैमरे अधिकांश चीन से ही आयात किए जातेे हैं। इसलिए अतिसंवेदनशील मामलों में कैमरे केवल भारतीय उद्यमियों से ही लेने चाहिए। 


कुछ तथ्य



  • राजधानी में सबसे अधिक पुलिस के कैमरे हैं छोटे बड़े करीब 500

  • एलडीए और नगर निगम के लगभग 200 कैमरे लगाए गए हैं।

  • इस तरह से सचिवालय और अन्य विभागों में करीब एक हजार कैमरे लगे हैं

  • लगभग 20 हजार कैमरे निजी आफिसों और घरों में लगाए गए हैं।