रहस्यमयी धनुषकोडी जाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

अगर इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो पता चलता है कि 17 दिसम्बर 1964 को अंडमान समुद्र में एक दवाब बना जो 19 दिसंबर को चक्रवात का रूप ले लिया।



भारत के तमिलनाडु राज्य के पूर्वी तट पर एक ऐसी जगह है जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थी। इस खूबसूरती को उस समय ग्रहण लग गया, जब 70 के दशक में इस पावन धरती पर भीषण तूफान आया। उस भीषण तूफान से सब कुछ नष्ट हो गया और गांव की खूबसूरती भी विलुप्त हो गई। सैकड़ों लोगों की जान चली गई। गांव वीरान हो गया, आज यह डरावना स्थल बन गया है। आइए, इस शहर के बारे में विस्तार से जानते हैं-


भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के पूर्व तट पर अवस्थित रामेश्वरम द्वीप के किनारे धनुषकोडी गांव है। उस समय धनुषकोडी में स्कूल, कॉलेजस, रेलवे स्टेशन, पोस्ट ऑफिस, घर, गाड़ी और चर्चेस सभी कुछ थें। शहर की खूबसूरती देखने लायक थी। धनुषकोडी श्रीलंका से महज 18 मील दूर है। जबकि यह पंबन दक्षिण-पूर्व में है।


पंबन से लेकर धनुषकोडी तक एक रेल लाइन थी जो अब विलुप्त हो चुकी है। अगर इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो पता चलता है कि 17 दिसम्बर 1964 को अंडमान समुद्र में एक दवाब बना जो 19 दिसंबर को चक्रवात का रूप ले लिया। इसके बाद 21 दिसंबर को इस चक्रवात की गति 250 से 350 मील प्रति घंटे हो गई जो एक सीध में पश्चिम की ओर बढ़ने लगी।


22-23 दिसम्बर की आधी रात को यह धनुषकोडी से टकराया। उस समय समुद्र में लहरें तकरीबन 24 फुट ऊंची थी। इस चक्रवात ने भयंकर तांडव मचाया, जिससे सब कुछ नाश हो गया। सैकड़ों लोग मारे गए और रेलवे स्टेशन रेत में कहीं गुम हो गई। यहां भगवान राम की कई मंदिर हैं।


आजकल धनुषकोडी में केवल मछुआरे रहते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि को इस तट पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और धनुषकोडी के तट पर समुद्र में आस्था की डुबकी लगाते हैं। लोगों को हिदायत दी जाती है कि वे सूर्यास्त से पहले रामेश्‍वरम लौट जाएं क्योंकि यह मार्ग बेहद डरावना और रहस्य्मयी है।