मृत्यु के भय को भी दूर करता है शिव का यह चमत्कारी मंत्र


सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव की मन से पूजा करने से कई परेशानियों से निजात मिलती है। यही नहीं भगवान शिव का  महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है, साथ ही आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है। स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है।


महामृत्युंजय मंत्र भोलेनाथ का सबसे बड़ा मंत्र है। इसके कई स्वरूप भी हैं जिनका शिवपुराण में उल्लेख है। महामृत्युंजय मंत्र का मूल भाग नीचे दिया गया है।


ऊं भूः भुवः स्वः ऊं त्रयम्बकं यजामहे  सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।


उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात



इसका प्राणरक्षक और महामोक्ष मंत्र भी है जिसका जाप किसी गंभीर समस्या के दौरान बेहद शुद्ध तरीके से किया जाना चाहिए। यह है प्राणरक्षक मंत्र


ऊं हौं जूं सः। ऊं भूः भुवः स्वः ऊं त्रयम्बकं यजामहे  सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।। ऊं स्वः भुवः भूं ऊं। ऊं सः जूं हौं।


सावन के महीने में भगवान शिव के इस पवित्र मंत्र का जाप करने से आपको भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त होती है और जिस व्यक्ति पर शिव प्रसन्न हों, उनके दुख अवश्य दूर होते हैं।


कोरोना के काल में शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना विशेषतौर पर गुणकारी होगा। इस मंत्र के जाप से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है, स्वास्थ्य से जुड़ी तकलीफें भी दूर होती हैं लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि यह कोई साधारण मंत्र नहीं है। 


महामृत्युंजय मंत्र विशेष मंत्र है, इसलिए इसका जाप करते समय कई नियमों का पालन करना जरूरी है ताकि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे।


अतः जाप से पूर्व इन सभी बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
-जाप हमेशा सुबह या शाम को करें। दोपहर 12 बजे के बाद जाप की शुरूआत न करें। 


-अगर कोई गंभीर कष्ट है तो कभी भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा सकता है। 


 -मंत्र के जाप में उच्चारण की शुद्धता का हमेशा ध्यान रखें।।
-इस मंत्र का एक निश्चित संख्या में जप करें। पहले दिन में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम मंत्रों का जप न करें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं।


-कम से कम जप की तीन माला (एक बार माला फेरने में 108 बार मंत्र उच्चारण करना होता है) जरूर करें। इससे कम जाप न करें।


-अगर घर में कोई बहुत गंभीर रूप से बीमार है तो सवा लाख बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप अनु्ष्ठान करवाएं। यह जाप अकाल मृत्यु को मात देने की क्षमता रखता है। 


 -मंत्र का उच्चारण कभी भी होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।
-जाप के दौरान धूप-दीप जलते रहना चाहिए।


-अगर संभव हो तो रुद्राक्ष की माला से ही जप करें।
-जाप करते समय माला को गौमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।


-जाप करते समय शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखना बेहद अनिवार्य है।


 -महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करें।


 -जाप से पहले दूध या  जल से शिवजी का अभिषेक करें या शिवलिंग पर चढ़ाएं


-जापकाल में ध्यान पूरी तरह मंत्र में ही रहना चाहिए, मन को इधर-उधर न भटकाएं।


 -जपकाल में आलस्य व उबासी को न आने दें


भगवान शिव की अराधना करने में इस मंत्र का बहुत बड़ा योगदान है। इस मंत्र के नियमित जाप से नकारात्मक विचारों को दूर रखने में भी मदद मिलती है। सावन में रुद्राभिषेक करवाने के साथ ही अगर कोई व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है तो व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।