लखनऊ। राजधानी के दवा बाजार में फिंगर ऑक्सीमीटर गायब होने लगा है। कोरोना काल में इसकी मांग बढ़ी है तो चीनी सामान के साथ इसकी आपूर्ति भी ठप हो गई है। ऐसे में छह माह पहले 500 से 800 रुपये में बिकने वाला ऑक्सीमीटर अब 1500 से 2000 रुपये में बिक रहा है। दवा कारोबारियों का कहना है कि आमतौर पर फिंगर ऑक्सीमीटर की बिक्री सिर्फ अस्पतालों में होती रही है। आम आदमी इसे नहीं खरीदता था। ऐसे में अस्पतालों में चार से पांच ऑक्सीमीटर भेजे जाते थे। माह में एक या दो सिंगल ऑक्सीमीटर की मांग होती थी। लेकिन संक्रमण के घातक होने के बाद इसे आम लोग भी खरीद रहे हैं। करीब माहभर पहले दिल्ली में इसका इस्तेमाल बढ़ने के बाद फुटकर मेडिकल स्टोर संचालक भी मांग करने लगे हैं। गोमती नगर के फुटकर दवा कारोबारी आशीष सिंह बताते हैं कि वह अपनी दुकान पर इसे रखते ही नहीं थे। लेकिन मई माह में कई ग्राहकों ने इसकी मांग की तो मंगवाया। कोरोना आने से पहले इसकी कीमत 500 से 800 रुपये थी। अब यह 15 सौ से अधिक में मिल रहा है। इधर जुलाई में थोक कारोबारियों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि इसकी सप्लाई ही नहीं हो रही है। ऐसे में वे उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। आपूर्ति कम होने से आई समस्या पहले दवा बाजार में चीन के तमाम उपकरण मौजूद रहते थे। अब वे बाजार से आउट हो गए हैं। आपूर्ति ठप होने की वजह से थोक कारोबारियों के यहां भी फिंगर ऑक्सीमीटर का स्टॉक नहीं बचा है। माल की आपूर्ति कम होने की वजह से समस्या आई है।
फिंगर ऑक्सीमीटर की ब्लैक मार्केटिंग नहीं होने दी जा रही है। पहले की तरह निर्धारित मूल्य पर ही बिक्री हो रही है। अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। फिर भी बाजार की निगरानी की जाएगी और जरूरत के मुताबिक लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। - बृजेश कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर एफएसडीए नब्ज-खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाता है ऑक्सीमीटर केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश बताते हैं कि ऑक्सीमीटर एक छोटी सी डिवाइस मशीन होती, जो मरीज की उंगली में फंसाई जाती है। इसकी मदद से उसकी नब्ज और खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता है। सांस की बीमारियों वाले मरीजों में इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है। इसके जरिए यह मॉनिटरिंग की जाती है कि मरीज को अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत है या नहीं। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच रहता है। 95 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल का मतलब है कि व्यक्ति के फेफड़ों में किसी तरह की परेशानी है। 92 फीसदी से नीचे ऑक्सीजन लेवल का मतलब है कि व्यक्ति की स्थिति गंभीर है और उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत है।