कोरोना वायरस के डर से बदला मम्मी-पापा के प्यार का तरीका


लखनऊ । मम्मी-पापा दोनों लोहिया संस्थान में डॉक्टर हैं। पापा डॉ. आशीष सिंघल कैंसर सर्जरी के हेड हैं। मम्मी डॉ. चारू सिंघल गाइनी विभाग में हैं। वह सुबह-सुबह अस्पताल चले जाते हैं। मगर, लौटकर वह पहले वाला प्यार नहीं दे पाते हैं। ऐसे नहीं कि उनका प्यार कम हो गया। मगर, वह डरते हैं कि कहीं लाडली बिटिया के पास वायरस न पहुंच जाए।


यूं तो पापा-मम्मी का शेड्यूल हमेशा से बिजी रहता था। मगर, हम घर आने पर उनके साथ खूब अठखेलियां करते थे। वहीं मार्च से वायरस आने के बाद से पापा-मम्मी गेट के अंदर आते ही गले लगाना-गोद उठाना छोड़ दिए हैं। गाल पर पप्पी भी नहीं लेते हैं। पहले कुछ दिन तो बुरा लगा। फिर मम्मी-पापा ने कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी। यह बहुत खतरनाक वायरस है। अस्पताल में अनजाने में मिला वायरस लाडली बिटिया तक पहुंच न बना ले, इसके लिए पापा-मम्मी दोनों परेशान रहते हैं। वह जूते-चप्पल बाहर रखकर ही घर के अंदर आते हैं। इसके बाद बाथरूम में नहाने चले जाते हैं। बाद में वह हम दोनों बहनों से मिलते हैं। शुरुआत में जब वायरस के बारे में नहीं जाना तो पापा-मम्मी के बदला व्यवहार अजीब लगा। मगर, वह तो हमारे बचाव के लिए ही कर रहे हैं, ऐसा जानकर बहुत खुशी हुई। अब ड्यूटी से लौटकर पहले साफ-सफाई बाद काे मम्मी-पापा का प्यार।


बाहर से ताला डालकर चले जाते थे ड्यूटी

सेंट फ्रांसिस-गोमतीनगर की कक्षा पांच की ओजस्वी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कामवाली आंटी घर पर नहीं आ रही थीं। मैं और छोटी बहन अकेले घर में रहती थी। मम्मी-पापा बाहर से ताला डालकर ड्यूटी पर चले जाते थे। वहीं शाम को घर आते थे। इस दौरान वक्त निकालकर मम्मी-पापा फोन कर लेते थे। वहीं अब बाबा-दादी आ गई हैं। अब कोई दिक्कत नहीं है। मगर, आप सब सभी सतर्क रहें। सब मिलकर जब वायरस के खिलाफ लड़ेंगे, तो हम लोग जरूर जीतेंगे। जब वायरस नहीं होगा, तो मम्मी-पापा फिर पहले वाला प्यार करेंगे।