कई राज्यों में तेजी से फैल रहा कोरोना, संक्रमित कैसे हुए, पता करना मुश्किल


नई दिल्ली I महाराष्ट्र, दिल्ली के बाद अब तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, केरल और असम में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इन राज्यों में सामुदायिक संक्रमण की आशंका जताई जाने लगी है। तमाम ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं जिनकी ट्रैवल हिस्ट्री का पता ही नहीं चल रहा। यानी वे संक्रमित कैसे हुए, यह पता करना मुश्किल हो रहा है। इसे देखते हुए राज्य सरकारें सिरोलॉजिकल सर्वे, ग्रिड ट्रेसिंग और रैंडम एंटीजन टेस्टिंग का सहारा ले रही हैं।


कर्नाटक


सभी सरकारी कर्मचारी ट्रेसिंग में लगाए गए
कर्नाटक में भी तमाम संक्रमितों का इतिहास नहीं मिल रहा। राज्य के मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि बेंगलुरु में तमाम संक्रमितों का इतिहास नहीं मिल रहा है। इसलिए ए, बी और सी श्रेणी के सभी कर्मचारियों को कांट्रेक्ट ट्रेसिंग में लगाया जाए। राज्य सरकार के मंत्री जे सी मधुस्वामी ने भी माना कि मरीजों से जुड़े लोगों की तलाश करने में दिक्कत आ रही है, उन्होंने सामुदायिक संक्रमण की भी आशंका जताई।


ओडिशा
सर्वाधिक प्रभावित तीन शहरों में सीरो सर्वे होगा
ओडिशा के 21 जिलों में संक्रमण पहुंच चुका है। यहां भी कई संक्रमितों का स्रोत नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए राज्य सरकार सर्वाधिक प्रभावित भुवनेश्वर, कटक और गंजाम जिलों में सिरोलॉजिकल सर्वे करने जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि सीरो सर्वे से उन्हें हकीकत पता चलेगी। कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों से जुड़े हुए लाखों कर्मचारी भी लगाए गए हैं।


असम
ग्रिड बनाकर संक्रमितों की तलाश
गुवाहाटी और जोरबाग में संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है। गुवाहाटी में रोजाना करीब 800 मामले आने लगे हैं। राज्य सरकार ने यहां सामुदायिक संक्रमण की आशंका जताई है। दिल्ली-मुंबई की तरह हालात न बनें, इसके लिए सरकार ने ग्रिड ट्रेसिंग का फार्मूला अपनाया है। इसमें संक्रमित व्यक्ति की जांच के साथ उसके पूरे परिवार का टेस्ट किया जाता है। फिर उस व्यक्ति के घर के अगल-बगल और आगे-पीछे के घरों में किसी एक शख्स का रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जाता है। अगर उसमें कोई संक्रमित मिलता है तो उसके घर के अगल-बगल इस तरह जांच की जाती है। इस तरह संक्रमित शख्स के आसपास एक ग्रिड बनाया जाता है ताकि सभी मरीज तलाशे जा सकें।


केरल


विशेष क्षेत्र चुनकर संक्रमितों की तलाश की जा रही
आमतौर पर संक्रमण वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जाती है लेकिन केरल में सरकार एरिया स्पेसिफिक रेंडम टेस्ट कर रही है। इसमें कहीं भी जाकर एक क्षेत्र का चुनाव किया जाता है और किसी भी घर में जाकर लोगों की जांच की जाती है। इसमें यह जरूरी नहीं कि उस व्यक्ति में लक्षण नजर आए। इससे इलाके में फैले संक्रमण का अंदाजा लगता है।


मध्य प्रदेश
घर-घर मरीजों का  डाटा तैयार हो रहा
मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन और जबलपुर में तमाम ऐसे मरीज मिले हैं जिनकी हिस्ट्री पता नहीं चल रही। जबलपुर में अभी भी 80 से ज्यादा मरीज ऐसे हैं। सरकार 'किल कोरोना' मुहिम के तहत पूरे राज्य में डोर-टू-डोर सर्वे करा रही है। इसमें कोरोना के लक्षण वाले सभी लोगों का डाटा रिकॉर्ड किया जा रहा ताकि संक्रमण होने पर तलाशना आसान हो जाए। 


संक्रमण बढ़ने से खतरा बढ़ा
तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बीते दिनों में काफी तेजी से मामले आए हैं और यहां सामुदायिक संक्रमण की आशंका जताई जाने लगी है।


प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी
शहरी इलाकों को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्यों में कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। सरकार को इसके लिए विशेष प्रयास करने पड़ रहे क्योंकि एक भी छूटा तो संक्रमण बढ़ने का खतरा होगा।



लॉकडाउन का सहारा
संक्रमण थामने के लिए तिरुवनंतपुरम, गुवाहाटी, जोरबाग, चेन्नई और औरंगाबाद समेत कई शहरों में लॉकडाउन लगाना पड़ा है। 


ज्यादातर बाहरी
अधिकारियों के मुताबिक, जिन मरीजों का संपर्क स्रोत पता नहीं चल रहा है उनमें ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो राज्य में बाहर से आए हैं। उनको पता नहीं चल रहा है कि कैसे वे चपेट में आ गए।