कांगड़ा घाटी में जेडडीएम-3 श्रेणी के इंजन के साथ दौड़ेगी रेलगाड़ी, पठानकोट रेलवे स्‍टेशन पर पहुंचा इंजन

नगरोटा सूरियां । पठानकोट-जोगेंद्रनगर नैरोगेज रेलमार्ग पर नई तकनीक के इंजन के साथ रेलगाडिय़ां शीघ्र ही दौडऩा शुरू कर देंगी। इसके लिए नई तकनीक से बना जेडडीएम-3 श्रेणी का नया शक्तिशाली डीजल इंजन शनिवार को पठानकोट रेलयार्ड में पहुंच गया है। नई तकनीक के अब तीन इंजन पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेलमार्ग पर रेल डिब्बों को खींचने के लिए तैयार हो गए हैं।







अब कांगड़ा घाटी के रेलवे स्टेशनों के बीच यात्रा आसान एवं आरामदायक हो जाएगी। हिमाचल की सुरमई धौलाधार पहाडिय़ों व मनमोहक वादियों के बीच उत्तर रेलवे के फिरोजपुर मंडल के अधीन पंजाब के पठानकोट से हिमाचल प्रदेश के जोगेंद्रनगर के बीच 164 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली कांगड़ा घाटी की नैरोगेज रेलगाड़ी 1929 में दौडऩा शुरू हुई थी। इस रेलखंड पर नूरपुर रोड, जवांवाला शहर, नगरोटा सूरियां, गुलेर, ज्वालामुखी रोड, नगरोटा, चामुंडा मार्ग, पालमपुर, बैजनाथ,जोगेंद्रनगर मुख्य रेलवे स्टेशन है, जहां अनेक पर्यटन, ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल स्थित हैं।


फिरोजपुर मंडल कांगड़ा घाटी रेलवे को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए पुराने इंजनों को बदल कर नए इंजन चलाने की तैयारी में पिछले साल से ही जुट गया है। कांगड़ा घाटी रेलखंड के बीच 14 रेलगाडिय़ां चलती हैं, जिसमें एक एक्सप्रेस ट्रेन शामिल है जो पठानकोट से बैजनाथ पपरोला के बीच चलाई जाती है। वर्तमान में ट्रेन सेवा कोविड-19 के कारण स्थगित है। कांगड़ा स्टेशन को आर्ट एवं गैलरी की ओर से हेरिटेज स्टेशन के रूप में विकसित किया गया है। इस रेलखंड के सभी स्टेशनों पर फ्री वाई-फाई सेवा उपलब्ध करा दी गई हैं।


मंडल रेल प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने बताया परेल वर्कशॉप, मुंबई से लॉकडाउन के दौरान निर्मित जेडडीएम-3 श्रेणी का तीसरा नया शक्तिशाली डीजल इंजन पठानकोट रेलयार्ड में पहुंच चुका है। ये इंजन फिरोजपुर मंडल के पठानकोट और जोगेंद्रनगर रेलवे स्टेशनों के बीच यात्रा को आसान और आरामदायक बनाने में कारगर होगा। उन्होंने बताया पूर्व में प्राप्त दोनों इंजनों का ट्रायल चल ही रहा था कि कोविड-19 के कारण, परीक्षण कार्य स्थगित हो गया। इन सभी इंजनों को नई तकनीक का उपयोग कर बनाया गया है।


इसके दोनों ओर को पॉयलट्स के लिए केबिन हैं, जिससे शटिंग करने में समय की बचत होगी। इसमें कुमिन्स इंजन का उपयोग किया गया है, जो अधिक विश्वसनीय एवं ईंधन के मामले में किफायती होगी। इंजन एवं ट्रांसमिशन के डिजिटल होने के कारण नियंत्रण प्रणाली बेहतर होगी। उन्होंने कहा रेल मंत्रालय से अनुमति मिलते ही ये इंजन पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेलमार्ग पर दौडऩे शुरू हो जाएंगे।