इस रोग से ग्रस्त लोगों के मास्क लगाने की संभावना कम: अध्ययन


कोरोना महामारी से बचने के लिए सामान्य लोग भले ही मास्क लगाने समेत अन्य नियमों का पाल कर रहे हों, लेकिन मनोविकार से ग्रस्त लोगों को लगता है कि ऐसा करने का कोई फायदा नहीं है। अब तक हुए दो अध्ययन में पता चला कि साइकोपैथिक या नार्सिसिस्टिक लक्षणों वाले लोगों में फेस मास्क लगाने, हाथ सेनेटाइज करने और सोशल डिस्टेंसिंग समेत अन्य नियमों का पालन करने की संभावना कम होती है। 


नार्सिसिस्टिक रोग से ग्रस्त लोग तारीफ के भूखे होते हैं। ऐसे लोगों के घर में बैठने की भी संभावना कम होती है। ये लोग नियम-कानून को बेकार की चीज समझकर केवल अपने फायदे के बारे में सोचते हैं। कोरोना संकट के समय में भी ऐसे लोग सावधानी बरतने की जगह ज्यादा से ज्यादा खाद्य सामग्री और टॉयलेट पेपर जमा करने में मशगूल हो सकते हैं। 


पोलैंड में 1,000 लोगों पर हुए सर्वेक्षण में पाया कि इन मनोरोगियों में लॉकडाउन के दौरान जमाखोरी की संभावना अधिक थी। इन लोगों में आम तौर पर दूसरों की तुलना में अधिक लालच और प्रतिस्पर्धा की भावना होती है।


100 लोगों में से एक व्यक्ति में आत्मकेंद्रित और अभिमानी सोच देखने को मिली जिसे नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (एनपीडी) के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि इतनी ही संख्या में साइकोपैथिक लोग भी हैं। पोजनान में यह अध्यन यूनिवर्सिटी ऑफ वारस और एसडब्ल्यूपीएस यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंसेज एंड ह्युमैनिटीज के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया।  


मतलबी और क्रूर बनाता मनोरोग: 
नार्सिसिस्टिक व्यक्ति लालची और आत्मकेंद्रित होते हैं। उनकी सहानुभूति की कमी का मतलब है कि वे अन्य लोगों का शोषण करने की अधिक संभावना रखते हैं। साइकोपैथिक प्रवृत्ति वाले लोग सतही रूप से आकर्षक होते हुए अधिक क्रूर,धोखेबाज और जोड़ तोड़ करने वाले हो सकते हैं।