डायबिटीज के गलत इलाज से गंभीर समस्याओं के शिकार हो रहे हैं लोग


मॉडर्न लाइफस्टाइल के सबसे बुरे परिणामों में से एक है डायबिटीज। देर से उठना, देर तक काम करना, रात को देर तक जागना, खाना सही समय पर नहीं खाना, जंक फूड का ज्यादा सेवन करना जैसी कई चीजें हैं, जो डायबिटीज के कारण बनती हैं। ये सब मॉडर्न लाइफस्टाइल के परिणाम हैं। इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह आपकी लाइफस्टाइल है, जो शरीर को कई तरह से कमजोर कर देती है। लेकिन सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि डायबिटीज का गलत इलाज होने लगा है।


ब्रिटेन के एक्जर्ट मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओँ ने अपने अध्ययन में पाया है कि डाइबिटीज के गलत इलाज से रोगी को कीटोएसिडोसिस (ketoacidosis) हो सकता है, जो रोगी को कोमा में भी ले जा सकता है। कीटोएसिडोसिस शुगर का चरम है। इस स्थिति में रोगी के खून में शुगर की मात्रा अत्यधिक हो जाती है और एक प्रकार का अम्लीय पदार्थ बनने लगता है, जिसे किटोन कहते हैं। किटोन का स्तर जब ज्यादा हो जाता है, तब रोगी कोमा में पहुंच जाता है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में शुगर के 583 मरीजों के इलाज पर विश्लेषण किया। इसके बाद पाया कि इन मरीजों में 20 प्रतिशत मरीजों का गलत इलाज किया गया।


आमतौर पर डायबिटीज के दो प्रकार हैं- टाइप-1 और टाइप-2 । साधारणतया टाइप-2 डाइबिटीज 45 साल की आय़ु के बाद ही होती है, जबकि टाइप-1 डाइबिटीज आनुवांशिक होती है। लेकिन इन दोनों के बीच फर्क करने में डॉक्टरों से गलती हो जाती है। यही वजह है कि रोगियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। एक्जर्ट मेडिकल कॉलज के शोधकर्ताओँ ने बताया कि डाइबिटीज की सही पहचान एक चुनौती बनकर उभरी है। उन्होंने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि टाइप 1 डाइबिटीज किसी भी उम्र में हो सकती है। इसके बावजूद डाइबिटीज की सही पहचान बड़ी चुनौती है। इससे बचने के लिए सबसे अच्छा यही तरीका है कि लाइफस्टाइल को सही किया जाए।