नई दिल्ली I कोरोना के बिना लक्षण वाले यानी एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के बारे में आम राय यह है कि इन्हें खतरा बहुत कम होता है। मगर हालिया अध्ययन से पता चला है कि यह वायरस एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के शरीर में साइलेंट किलर की तरह खतरनाक ढंग से हमला कर रहा है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ऐसे मरीजों को फेफड़े कमजोर हो रहे हैं और उनमें निमोनिया का खतरा बढ़ता है।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पहली बार एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के क्लीनिकल पैटर्न से इस तरह की बात सामने आई है। पता चला की इन मरीजों के फेफड़ों को नुकसान हुआ तो इनमें खांसी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नहीं दिखे। ऐसे मरीजों की अचानक मौत होने का खतरा भी अधिक है। हालांकि शोधकर्ताओं ने इसमें और अध्ययन की की जरूरत बताई।
बीते दिनों रिपोर्ट में सामने आया कि भारत में करीब 80 प्रतिशत एसिम्प्टोमैटिक मरीज हैं। वहीं विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है कि दुनिया में ऐसे मरीजों की संख्या 6 से 41 प्रतिशत तक हो सकती है। शोधकर्ताओं ने 37 बिना लक्षण वाले मरीजों से जुड़े डाटा का अध्ययन किया जो कि चीन के सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रीवेंशन संस्थान द्वारा जुटाया गया था। इस संस्थान ने चीन में फरवरी से अप्रैल तक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग व जांच के जरिए कुल 2088 मरीजों को ढूंढा था। मरीजों के सिटी स्कैन से पता लगा कि 57 प्रतिशत मरीजों के फेफड़ों में धारीदार छाया थी जो फेफड़ों में सूजन या इन्फ्लेमेशन का लक्षण है। जिसमें फेफड़े अपनी स्वाभाविक क्षमता से काम करना बन्द कर देते हैं।