त्याग, तपस्या और संकल्प का प्रतीक अखंड सौभाग्यवती की कामना पूर्ति के लिए महिलाएं गुरुवार को हरियाली तीज पर्व मनाएंगी। हरियाली तीज या श्रावणी तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाते हैं। सुहागन महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है। आस्था, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
यह त्यौहार महिलाओं को समर्पित है। इस दिन औरतें मनचाहे वर और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए पार्वती ने 107 बार जन्म लिया था। मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108 जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई। इस दिन सोलह श्रृंगार कर जो महिला भगवान शंकर और देवी पार्वती की सच्चे मन से पूजा करती है, उनका सुहाग लम्बे समय तक बना रहता है।