बरगद और आंवला में छुपा है सेहत का खजाना

मान्यता है कि वट वृक्ष (बरगद) की जड़ें ब्रह्म छाल विष्णु और शाखाएं शिव हैं। लक्ष्मी जी भी इस वृक्ष पर आती हैं।



भारतीय संस्कृति और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वृक्ष हमारे लिए पूजनीय हैं। पौधों का साथ जितना अनोखा होता है उतना ही सेहतमंद भी। जितना पुराना है उतना प्रेरक भी। आज बात आंवला और बरगद की। आंवला यानि अमृतफल नाम ही इसकी उपयोगिता और इतिहास बता रहा है तो बरगद जिसका धार्मिक मान्यताएं और स्वरूप ही इसके महत्व का गुणगान कर रहा है। जानिए दोनों पौधों को किस तरह उपयोग में लाएं, इन्हें सुरक्षित रखें और खुद को स्वास्थ्यलाभ पहुंचाएं।


बरगद : बरगद के पेड़ के सभी भागों (जड़, तना, पत्तियां, फल और छाल) को औषधीय उपयोग में लाया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट (सूजन घटाने वाला) और एंटी-माइक्रोबियल (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) प्रभाव कई तरह के औषधीय लाभ पहुंचाता है।


अन्य उपचार पद्धतियों में उपयोग : आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी में इसका काफी उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां अल्सर के लिए अच्छी होती हैं तो आकाशीय जड़ें सुजाक में, जबकि बीज और फल ठंडे और टॉनिक के रूप में काम आते हैं।


वैज्ञानिक नाम : फाइकस वेनगैलेंसिस


25-30 फीट औसत लंबाई


फायदे



  • बरगद के पत्तों का उपयोग यूरिनरी समस्या को दूर करने में किया जाता है

  • बरगद में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाया जाता है, जो बैक्टीरियल इंफेक्शन को दूर करने में मदद करता है

  • इसकी पत्तियों में कुछ खास तत्व जैसे हेक्सेन, ब्यूटेनॉल, क्लोरोफॉर्म और पानी मौजूद होता है। ये सभी संयुक्त रूप से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं

  • इस पेड़ के जलीय अर्क का सेवन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित कर सकता है। बरगद में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव खुजली से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकते हैं

  • बरगद के पेड़ से निकलने वाले दूध में रेजिन, एल्ब्यूमिन, सेरिन, शुगर और मैलिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये संयुक्त रूप से डायरिया और बवासीर की समस्या में लाभदायक माने जाते हैं

  • इस पेड़ की जड़ में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है इसलिए डायबिटीज की समस्या से राहत दिलाने के लिए सहायक है। बरगद की जड़ के फायदे में डिप्रेशन से छुटकारा भी शामिल है


आंवला : आंवला को आयुर्वेद में अमृतफल या धात्रीफल कहा गया है। शुरू से ही आंवला का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता रहा है। पेड़-पौधे से जो औषधि बनती है उसको काष्ठौषधि कहते हैं और धातु-खनिज से जो औषधि बनती है उनको रसौषधि कहते हैं। इन दोनों तरह की औषधि में आंवला का इस्तेमाल किया जाता है। पांच रस आंवला में विटामिन सी, विटामिन एबी कॉम्प्लेक्स, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और डाययूरेटिक एसिड पाए जाते हैं।


हृदय के लिए लाभप्रद : आंवले का सेवन करने से रक्त में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ नहीं पाता, जिससे हृदय को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंच पाता। इसमें उपस्थित अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स की वजह से हृदय गति सुचारु रूप से संचालित होती है। ब्लड प्रेशर संबंधित समस्याओं के लिए आंवला अच्छा विकल्प है।


वैज्ञानिक नाम : फिलेंत्थस एम्बलीका


20-25 फीट औसत लंबाई


फायदे



  • आंवला का रस आंखों के लिए गुणकारी है

  • आंवला में बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन से लड़ने की ताकत होती है

  • आंवला खाने से सर्दी-जुकाम, अल्सर और पेट के इंफेक्शन से मुक्ति मिलती है

  • आंवला शरीर में मौजूद टॉक्सिन यानी कि जहरीले पदार्थों को बाहर निकाल देता है

  • आंवला शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है और साथ ही आंवला कई बीमारियों को जड़ से भी खत्म करता है

  • आंवला खाने से हड्डियों को ताकत मिलती है। इससे ऑस्ट्रोपोरोसिस, अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है

  • यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मददगार है। आंवला को किसी न किसी रूप में अपने भोजन में शामिल करना चाहिए

  • डायबिटीज में आंवला बेहद फायदेमंद है। इसमें क्रोमियम तत्व पाए जाते हैं, जो इंसुलिन हार्मोंस को मजबूत कर खून में शुगर लेवल को नियंत्रित करते हैं

  • आंवला दिल के लिए सेहतमंद है। इसमें मौजूद क्रोमियम बीटा ब्लॉकर के प्रभाव को कम करता है। यह खराब कोलस्ट्रॉल को खत्म कर अच्छे कोलस्ट्रॉल को बनाने में मदद करता है