अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की लाइन, स्क्रीनिंग में गायब हो गया मर्ज


लखनऊ । शहर के अस्पतालों में मरीजों की लाइनें हैं। फीवर क्लीनिक में हर रोज भीड़ उमड़ रही है। मगर, स्वास्थ्य विभाग की घर-घर स्क्रीनिंग के दरम्यान मर्ज गुम हो गई। राजधानी की लाखों की आबांदी में ढाई हजार के आस-पास की रोगी पाए गए।


शहर में कोरोना भयावह हो रहा है। वायरस पर नियंत्रण के लिए घर-घर स्क्रीनिंग अभियान शुरू किया गया। मकसद, कोरोना के संदिग्ध मरीजों की पहचान कर जांच करना रहा। साथ ही समयगत अस्पताल में शिफ्ट कर वायरस के प्रसार को थामना रहा। पांच से 16 जुलाई तक शहर में हर रोज 2204 टीमों ने घर-घर भ्रमण किया । दावा है कि टीम ने 12 लाख, 10 हजार, 636 घरों का भ्रमण किया। इसमें 52 लाख, 17 हजार, 715 लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी जुटाई। इसमें 1,088 बुखार, 945 खांसी-जुकाम, 781 सांस के रोगी पाए गए। यानि की लाखों की आबादी में 12 दिनों में सिर्फ 2, 814 रोगी ही सांस, जुकाम, बुखार के पाए गए।


ऐसे उठे सवाल


12 दिनों में शहर भर में 2,814 रोगी ही जुकाम, बुखार, सांस के रोगी मिले हैं। वहीं शहर के सरकारी अस्पतालों में ही राेज 1500 के करीब रोगी फीवर क्लीनिक में पहुंच रहे हैं। इसमें प्रमुख अस्पताल केजीएमयू में रोजाना करीब 300, सिविल में 150, लोहिया संस्थान में 250, बलरामपुर में सौ के करीब मरीज आ रहे हैं। इसके अलावा 11 ग्रामीण सीएचसी , नौ अर्बन सीएचसी व प्राइवेट अस्पताल में भी मरीज दिखा रहे हैं। लिहाजा , एक तरफ जहां स्क्रीनिंग पर सवाल खड़ा होता है, दूसरी तरफ शहर वासियाें द्वारा बीमारी छिपाने की भी बड़ी आशंका है। सर्वे में शामिल हेल्थ टीम के सदस्यों के मुताबिक कई जगह लोगों ने स्वास्थ्य संबंधी जानकारी शेयर नहीं की। उन्हें भय था कोरोना निकलने पर पूरे घर को अस्पताल भेज दिया जाएगा।


एंंटीजेन टेस्ट में 41 में कोरोना


स्क्रीनिंग अभियान के नोडल ऑफीसर डॉ. एमके सिंह के मु्ताबिक कुछ जगहों से हेल्थ टीम ने आमजन द्वारा सहयोग न करने की शिकायत की थी। उन्होंने घर पहुंची टीम को स्वास्थ्य संबंधी ब्योरा देने में आनाकानी की। मगर,ज्यादातर लोगों ने सहयोग किया । शुक्रवार तक शहर में 3340 एंटीजेन टेस्ट किए गए। इसमें 41 लोग पॉजिटिव पाए गए।