यूपी से उत्तराखंड तक, कोरोना काल में 60 % तक घट गए सिजेरियन प्रसव


नई दिल्ली । कोरोना काल में सामान्य के मुकाबले सिजेरियन प्रसव में अप्रत्याशित तौर पर 35 से 60 फीसदी तक गिरावट आई है। यूपी के लखनऊ, आगरा, मुरादाबाद जैसे जिलों में वर्ष 2020 के पहले तीन महीनों के मुकाबले अप्रैल-मई में सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑपरेशन से बच्चों के जन्म दो तिहाई तक कम हो गए हैं। अलीगढ़ में तो 90 फीसदी तक कमी आई है। नोएडा-फरीदाबाद में सिजेरियन 40 फीसदी तक घटे हैं। वहीं, झारखंड में सिजरेयिन प्रसव बढ़ गए हैं।


यूपी 


यूपी में सामान्य दिनों में जहां रोजाना 5500 बच्चों का जन्म होता था, वहीं लॉकडाउन के 80 दिनों में यह 4500 के करीब रहा। पिछले 80 दिनों में प्रदेश में 3 लाख 60 हजार बच्चों ने जन्म लिया है। सामान्य दिनों में सिजेरियन की संख्या अधिक होती है। पिछले 20 दिनों में जन्म लेने वाले 90 हजार बच्चों में मात्र एक हजार सीजेरियन प्रसव हुए।


उत्तराखंड


सिजेरियन डिलीवरी में सबसे कमी यूएस ऊधमसिंह नगर में आई है। जिले के रुद्रपुर जिला अस्पताल में प्रतिमाह 40 से 42 सिजेरियन डिलीवरी होती थी जो अप्रैल में आधी रह गई। उत्तराखंड के चम्पावत, उत्तरकाशी, नैनीताल, रुद्रप्रयाग आदि जिलों में पहले और उसके बाद लगभग समान संख्या में सिजेरियन हो रहे हैं। चम्पावत व टिहरी में सिजेरियन मामूली रूप से बढ़ी है।
 
झारखंड


झारखंड में कोरोना काल में सिजेरियन प्रसव अप्रैल के मुकाबले मई में 8-9 फीसदी बढ़े हैं। रांची में अप्रैल में रांची सदर अस्पताल में 340 में 101 सिजेरियन और मई में 315 प्रसव में 119 सिजेरियन प्रसव कराए गए। लातेहार में 2020 के पहले तीन महीने में 24 सिजेरियन प्रसव हुए था, जो अप्रैल-मई में बढ़कर 65 हो गए। सिमडेगा में सिजेरियन इसी दौरान 15 से बढ़कर 22 हो गए। लोग घर में ही प्रसव को प्राथमिकता दे रही हैं।


फरीदाबाद 


जिले में लॉकडाउन के दौरान सरकारी अस्पतालों में निजी अस्पतालों की तुलना में सिजेरियन घटे हैं। राजकीय अस्पताल में सामान्य दिनों में हर माह 140 से 160 सिजेरियन और 400 सामान्य प्रसूति होती थीं। 25 मार्च से 25 अप्रैल तक करीब 81 बच्चे सर्जरी और 310 सामान्य प्रसव से हुए, जो करीब 57 फीसदी कम है। बीके अस्पताल में सर्जरी में सिजेरियन 50 फीसदी कम हुए हैं। निजी अस्पताल में 15-20 प्रतिशत की सिजेरियन कम हुए हैं।


गाजियाबाद 


जिला महिला अस्पताल की सीएमएस दीपा त्यागी के अनुसार, सिजेरियन या सामान्य प्रसव को लेकर कोई ज्यादा अंतर नहीं है। हालांकि अस्पताल में प्रसव के मामले घटे हैं। पिछले तीन माह में अधिकांश लोग घर पर निजी चिकित्सकों की मदद से प्रसव कराने को प्राथमिकता दे रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 संक्रमित महिलाओं को भी पूरी सावधानी के साथ प्रसव किया गया है। दिसंबर से फरवरी के बीच 1300 प्रसव में 740 सामान्य और 550 सिजेरियन हैं। कोरोना की शुरूआत के बाद प्रति दिन पांच-छह प्रसवों की संख्या कम होती गई।


नोएडा 


नोएडा में जनवरी से मार्च में हर माह औसतन 1246 बच्चे ऑपरेशन से पैदा हुए। अप्रैल-मई में यह घटकर 811 रह गए, जो 35% की कमी दिखाता है। जिला अस्पताल की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. निरुपमा सिंह का कहना है जनवरी में 4572 प्रसव में सर्जरी से 1194 बच्चे पैदा हुए हैं। फरवरी में 4088 प्रसव में सर्जरी से 1205 बच्चे पैदा हुए। मार्च में 4397 प्रसव में सर्जरी से 1341 बच्चे हुए हैं। अप्रैल में 2828 प्रसव और 915 सर्जरी हुई है। मई में 2204 प्रसव और इनमे 708 सर्जरी है।


कोरोना काल में निजी अस्पताल में सर्जरी के माध्यम से प्रसूति कराने वाली प्रसूति में मात्र 15-20 फीसदी का अंतर आया होगा। कुछ महिलाओं को छोड़कर सभी सर्जरी के माध्यम से ही प्रसूति कराना पसंद करती है। इंफेक्शन के डर से पिछले तीन महीने के दौरान थोड़ी बहुत कमी आई है। 
-डॉ. पूनिता हसीजा, आईएमए फरीदाबाद