नई दिल्ली । केंद्र सरकार दो पहिया और चार पहिया वाहनों के प्राथमिक उपचार बॉक्स में दो दवाएं रखना अनिवार्य करने जा रही है। इसमें एक खून रोकने वाली जेल (ठोस चिपचिपा घोल) और शरीर में कटे स्थान पर लगाने वाली क्रीम (सेंट्रीमाइड-बीपी) है। इससे अधिक खून बहने के कारण लोगों की जान नहीं जाएगी। इसके अलावा बॉक्स में जरूरी जीवन रक्षक दवाएं, पट्टी और एंटीसेप्टिक आदि होना चाहिए। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को हितधारकों से सुझाव-आपत्ति के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तीस दिन बाद इस नियम को लागू कर दिया जाएगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में कुछ कार कंपनियां उपभोक्ता को प्राथमिक उपचार की सामग्री मुफ्त में देती हैं। लेकिन इसमें सामान्य बीटाडिन, लोशन व पट्टी होती है। सड़क हादसों में घायलों के शरीर से खून के बहाव को रोकने में यह दवाइयां कारगर नहीं होती हैं। अधिक खून बहने के कारण लोगों की मौत हो जाती है।अब नियमानुसार प्राथमिक उपचार बॉक्स में पट्टी, कैंची, एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक टेबलेट व अन्य जीवन रक्षक दवाइयां रखनी होंगी। अधिकारी ने बताया कि कार निर्माता कंपनियों के लिए यह सामग्री मुफ्त में देना अनिवार्य होगा। *कमोबेश यह नियम दो पहिया *वाहन मोटरसाइकिल, स्कूटर, *स्कूटी, व्यावसायिक वाहनों पर *भी लागू होगा।
दुर्घटना के तुरंत बाद उपचार मिले तो बचने की संभावना ज्यादा
सड़क परिवहन क्षेत्र के विशेषज्ञ अनिल छिकारा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से सड़क हादसे में घायलों की जान बचाई जा सकेगी। दुर्घटना का पहला एक घंटा गोल्डन ऑवर होता है। इस दौरान प्राथमिक उपचार मिलने से घायल के बचने की उम्मीद अधिक हो जाती है। सरकार ने सड़क हादसों में जान गंवाने वाले दो पहिया वाहन चालकों को नई मोटरसाइकिल- स्कूटर खरीदने पर बीआईएस मार्क के दो हेलमेट मुफ्त देने का प्रावधान किया था। लेकिन कई बार लोग हेलमेट लेने के बजाए डीलर से उतने पैसे कम करा लेते हैं। जबकि देश में डेढ़ लाख हादसों में 27 फीसदी दो पाहिया चालक सवार हैं।