कोरोना संक्रमण के दौर में सैनिटाइजर के अधिक उपयोग से त्वचा रोग की शिकायतें सामने आ रही हैं। लोग घर में रहने के बावजूद 10 से 15 बार इससे हाथ साफ कर रहे हैं। ऐसे में त्वचा में जलन सहित अन्य समस्या होने लगी है। तीन माह से लगातार सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे लोगों को अब डॉक्टर भी साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोने की सलाह दे रहे हैं। अभी डॉक्टर फोन से ही इनका इलाज कर रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक निजी अस्पतालों की ओपीडी व क्लीनिक खुलने पर इस तरह के केस बढ़ सकते हैं।
लोग घर में रहकर भी 10-15 बार सैनिटाइजर से साफ कर रहे हाथ
मार्च के पहले तक सिर्फ डॉक्टर या मेडिकल संचालक सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते नजर आते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण में अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर के उपयोग से बचाव की जानकारी के बाद अब हर कोई सैनिटाइजर का उपयोग करने लगा है। हर घर में सैनिटाइजर का उपयोग होने से इसकी खपत के साथ ही इससे त्वचा संबंधी समस्याएं भी सामने आने लगी हैं। कुछ केस में शुरुआती लक्षण देखकर ही डॉक्टरों ने इसके कम उपयोग की सलाह दी है, लेकिन अभी भी कई लोग इसे अन्य कारणों से एलर्जी मानकर इलाज ले रहे हैं।
महिलाओं को अधिक असर
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की त्वचा नर्म होती है, इस कारण उनमें सैनिटाइजर से त्वचा संबंधी समस्या के मामले अधिक सामने आए हैं। डॉक्टरों के अनुसार सैनिटाइजर के अधिक उपयोग से त्वचा में जलन, चकते या लाल होने की समस्या सामने आ रही है। इसे ठीक होने में पांच-सात दिन लग रहे हैं। जलन की समस्या अधिक दिनों तक रह रही है। कुछ केस में बच्चों के हाथ सैनिटाइजर से साफ कराने पर उनकी हथेली की त्वचा खुरदरी होने की समस्या भी सामने आई। डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि बच्चों के हाथ सैनिटाइजर के बजाय साबुन से ही साफ कराएं। साथ ही किसी प्रभावित क्षेत्र या अस्पताल से लौटने पर ही सैनिटाइजर का उपयोग किया जाए।
डब्ल्यूएचओ ने भी दी है हिदायत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गाइडलाइन जारी की थी जिसमें सैनिटाइजर व डिसइन्फैक्ट करने वाले साधनों का उपयोग अधिक करने से नुकसान बताया था। इनका छिड़काव लोगों पर किसी भी तरह से ठीक नहीं है। 18 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी की थी। इसमें सैनिटाइजर का अधिक उपयोग न कर साबुन से हाथ धोने की एडवाइजरी जारी की गई थी। एक माह पहले मध्य प्रदेश शासन ने भी अस्पताल से सैनिटाइजर टनल हटाने के निर्देश दिए थे। इससे त्वचा को नुकसान होने की बात कही गई थी।
डिसइन्फैक्ट से भी त्वचा संबंधी रोगों का खतरा
इस समय नगर निगम व अन्य विभागों में डिसइन्फैक्ट केमिकल का छिड़काव किया जा रहा है। इसे क्लोरीन, सोडियम हाइपोक्लोराइट व पानी मिलाकर बनाया जाता है। इसे किसी सरफेस (जगह) पर छिड़काव करने की गाइडलाइन जारी की गई है। कई लोग इसका शरीर पर छिड़काव कराते हैं। शरीर पर केमिकल लगने से त्वचा संबंधी गंभीर रोग होने का खतरा रहता है। शरीर पर इसका प्रयोग करने से कोरोना का संक्रमण नहीं होगा, ऐसी कोई हिस्ट्री भी नहीं है।
डिसइन्फैक्ट केमिकल से हो सकती है ये समस्याएं
-सांस लेने में परेशानी
-आंखों में जलन
-त्वचा में जलन
-जी मचलाना या उल्टी
इंदौर के महाराजा यशवंत राव चिकित्सालय के वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एचके नारंग ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कई लोगों के फोन आए। उन्होंने सैनिटाइजर के उपयोग से जलन की समस्या बताई। इनका फोन पर ही उपचार किया गया। उन्हें सलाह भी दी गई है कि साबुन से 20 सेकंड तक अच्छी तरह से हाथ धोएं। सैनिटाइजर में 60 से 70 प्रतिशत तक अल्कोहल होता है। लोग हथेलियों के अलावा कोहनी तक भी उपयोग कर रहे हैं, यह गलत है। इसका इस्तेमाल संतुलित मात्रा में ही करना है। हथेलियों के अलावा चेहरे या शरीर पर छिड़काव न करें।