मरीज के संपर्क वालों को ढूंढने में ही बीत जा रहे तीन दिन


लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग की ढिलाई राजधानी में लगातार कोरोना मरीज बढ़ा रही है। हालत यह है कि मरीज के पॉजिटिव पाए जाने के बाद उसके संपर्क में रहने वालों को तलाशने में दो से तीन दिन गुजर जा रहे हैं। ऐसे में तब तक उनसे दूसरों में वायरस फैलता रहता है। इसी तरह से लापरवाही बरती गई तो बारिश में डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ने पर हालात संभालना मुश्किल होगा। स्वास्थ्य विभाग रोजाना दो से तीन हजार परिवारों के सर्वेक्षण का दावा कर रहा है, लेकिन यह हवा-हवाई साबित हो रहा है। मरीजों के संपर्क वालों को ढूंढने में विभाग नाकाम है। उदाहरण के तौर पर देखें तो विराज खंड में पॉजिटिव मिले दो मरीजों के परिवार के दो सदस्यों की जांच कराई गई, लेकिन इस घर में काम करने वाली महिला की अभी तक जांच नहीं कराई गई है। इसी तरह सीएम हेल्पलाइन कॉल सेंटर में काम करने वाले 18 लोग पॉजिटिव पाए जा चुके हैं, लेकिन इनके संपर्क वालों का आंकड़ा जुटाने का काम अधूरा है। खास बात यह है कि पॉजिटिव मिले लोगों के रहने और उनके विभिन्न स्थानों पर आने-जाने के बारे में भी स्वास्थ्य विभाग तत्काल जानकारी जुटाने में नाकाम रहा। यही लापरवाही फूलबाग में हुई, जहां महिला के पॉजिटिव मिलने के बाद तीन दिन तक विभाग के अधिकारी बैठे रहे। न तो तत्काल संबंधित इलाके में अभियान चलाया और न ही सैंपल लेने की जरूरत समझी गई। सर्वे के नाम पर खानापूर्ति स्वास्थ्य विभाग सर्वे के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है। अधिकारियों का दावा है कि टीमें घर-घर जाकर लोगों का विवरण लेती हैं। इस दौरान सर्दी, जुकाम व बुखार से पीड़ित लोगों की सूची बनाई जाती है और जरूरत के हिसाब से इनका सैंपल भी लिया जाता है। लेकिन इस टीम की सक्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि फूलबागमें एक व्यक्ति के पॉजिटिव मिलने के बाद इस टीम के उसी इलाके में सर्वे करने का दावा किया गया था, लेकिन चार दिन बाद वहां मरीज पाए गए। ऐसी ही स्थिति कैसरबाग में भी रही। बारिश में बढ़ सकती है मुसीबत हर साल बारिश में ट्रांसगोमती, फैजुल्लागंज सहित कई इलाकों में डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ता है। इस बार भी इससे इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि जून में सप्ताह भर के अंदर दो बार झमाझम बारिश हो चुकी है। ऐसे में विभिन्न इलाकों में जलभराव के साथ घास-फूस बढ़ गई है। इससे मच्छर पनपेंगे। स्वास्थ्य विभाग कोरोना के मामले में ढिलाई बरत रहा है तो डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू फैलने पर इसे नियंत्रित कर पाना नामुमकिन जैसा होगा। हर साल जून में ही मलेरिया नियंत्रण की रणनीति तैयार कर ली जाती थी, लेकिन इस साल अभी तक कोई तैयारी ही नहीं है। वर्जन संपर्क वालों की सूची बनाने में लगता है वक्त पॉजिटिव आने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम संबंधित इलाके का सर्वे कर रही है। जो सीधे संपर्क में होते हैं, उन्हें तत्काल होम क्वारंटीन की सलाह दी जाती है। मरीज की कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है। पहली प्राथमिकता है कि पॉजिटिव मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए। इस दौरान वह कहां-कहां गया था और कितने लोगों से मिला, उसकी सूची तैयार की जाती है। इसमें वक्त लगता है। संपर्क वालों का सैंपल लेने से पहले किसी को जानकारी नहीं दी जा सकती। मरीज के इलाके में नगर निगम की मदद से सैनिटाइजेशन होता है। विभाग सक्रियता से दिन-रात काम कर रहा है। डॉ नरेंद्र अग्रवालए सीएमओ लखनऊ