लोगों को जमीन की चिंता, लेकिन जान की नहीं


शाहजहांपुर । शाहजहांपुर के डीएम के निर्देश पर काेरोना संक्रमण को रोकने के लिए पुलिस गाइड लाइन का पालन करा रही है। पर पुलिस ने कभी रजिस्ट्री दफ्तर में बाहर से भी झांक कर नहीं देखा। न ही डीएम को पता है कि उनकी ही नाक के नीचे उनके ही मातहत अधिकारी उनकी गाइडलाइन की कैसे धज्जियां उड़ा रहे हैं। अगर डीएम खुद इस रजिस्ट्री दफ्तर का हाल देख लें तो वही यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भीड़ लगाने को लेकर कार्रवाई कर देंगे।


रजिस्ट्री ऑफिस में लाकडाउन में व्यवस्था थी कि बैनामा, वसीयत, इकरारनामा आदि की डीड ऑनलाइन करवाने के बाद एक तारीख दी जाती थी, जोकि मात्र 35 लोगों को ही मिलती थी, जिसके कारण रजिस्ट्री ऑफिस में पहुंचने वालों की संख्या सीमित हो जाती थी। जून से इस प्रक्रिया में बदलाव कर दिया गया है, अब ऑनलाइन कराने के बाद तारीख कोई भी मिले, परन्तु हर व्यक्ति किसी भी दिन (मिली हुई तारीख से पहले या बाद में) अपना बैनामा आदि करा सकता है, जिस कारण रजिस्ट्री ऑफिस में मेला लग रहा है।


एक बैनामे में कम से एक विक्रेता (संख्या अधिक भी हो सकती है) एक क्रेता (संख्या अधिक भी हो सकती है) व दो गवाह और एक अधिवक्ता और एक मुंशी आते हैं। अर्थात एक बैनामे में छह लोग तो अनिवार्य ही हैं। ऐसे में संख्या का प्रतिबंध हटने से इस समय रजिस्ट्री ऑफिस में 250 से ज्यादा लोग एकत्रित होते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर की बात है, किसी प्रकार का कोई भी नियम का पालन नहीं हो पाता है। वर्तमान समय में पुराने रजिस्ट्री ऑफिस का जीर्णोद्धार हो रहा है तो उसके मजदूर भी मौजूद रहते हैं। शनिवार को अधिवक्ता सत्येंद्र सक्सेना की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आने से जजी कचहरी सेनेटाइज करने के लिए सील कर दी गई थी तो अधिकतर अधिवक्ता अपने बैग और अन्य क्लाइंटों के साथ रजिस्ट्री ऑफिस में ही जमे रहे। यहां साबुन से हाथ धोने वाली मशीन बेकार पड़ी है, इसमें न तो साबुन का घोल है और न ही पानी है।