क्‍यों देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले

विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण के मामले भले ही बढ़ रहे हों लेकिन संक्रमण की दर देश में गिर रही है।



आज से 127 दिन पहले 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आया। अब रोजाना 8-9 हजार मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण के मामले भले ही बढ़ रहे हों, लेकिन संक्रमण की दर देश में गिर रही है। आखिर फिर क्या वजह है कि देश में रोजाना नए मामले बढ़े हुए दिखाई दे रहे हैं।


दरअसल जैसे जैसे देश में कोरोना की जांच संख्या में इजाफा हो रहा है, उसी अनुपात में उसके संक्रमितों की संख्या में भी वृद्धि दिखाई दे रही है। नौ अप्रैल तक देश में करीब कुल एक लाख तीस हजार जाचें की गई थी, हालिया तीन जून को अब तक हुई कुल जांचों की संख्या 41 लाख से अधिक हो गई। इनमें से 2.46 लाख लोग संक्रमित निकले है।


भारत की स्थिति : एक हजार मामले पहुंचने में 30 जनवरी से अप्रैल के पहले सप्ताह का समय लगा। इसके बाद अप्रैल अंत तक दैनिक वृद्धि का औसत दो हजार से नीचे ही बना रहा। मई महीने के दौरान रोजाना संक्रमितों की संख्या का औसत तीन हजार से लेकर आठ हजार तक रहा। इसी दौरान देश में कोरोना टेस्ट किए जाने में भी वृद्धि हुई।


भारत में लागू किया लॉकडाउन सफल रहा या विफल एक बहस बहुत जोरों से चल पड़ी है कि भारत ने समय से पहले लॉकडाउन लगाया जिससे उसे अन्य देशों की तरह लाभ नहीं मिला। सरकार का दावा रहा है कि लॉकडाउन के चलते ही देश को कोरोना के चलते अप्रत्याशित तैयारियों का मौका मिला।


अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं को तैयार किया गया। ट्रेन की बोगियों को आपातकालीन क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया। जिस देश में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी, उसी लॉकडाउन में हुई तैयारियों के चलते आज दो लाख से ज्यादा पीपीई किट सहित सैनिटाइजर, दस्ताने रोजाना बनाए जा रहे हैं।


देश के लोगों को जागरूक करने और उन्हें इस नए बदलाव के प्रति तैयार करने में यह समय बहुत अहम रहा। साथ ही लॉकडाउन के चलते ही कोरोना मामलों के दोगुने होने में लगने वाला समय लंबा किया जा सका। 23 मई को नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पाल ने बताया था कि लॉकडाउन के चलते ही मामलों के दोगुना होने का समय 3.5 दिन से 13.5 करने में मदद मिली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के हवाले से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने कहा है कि अन्य देशों की तुलना में देश में प्रति लाख आबादी पर संक्रमित मामले बहुत कम हैं। दुनिया में यह संख्या औसत 87.74 है, जबकि, भारत में यह 17.32, जर्मनी में 219.93, इटली में 387.33, ब्रिटेन में 419.54 और स्पेन में 515.61 है। मंत्रलय के मुताबिक देश में प्रति लाख आबादी पर मौतें 0.49 हैं, जो दुनिया की औसत संख्या 5.17 से बहुत कम है। जिन देशों में लॉकडाउन में ढील दी गई है, उनकी तुलना में भी भारत की स्थिति ठीक है।