क्या भारत में कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर इटली से भी ज्यादा है?


नई दिल्ली। भारत में कोरोना के मामलों में मृत्यु दर कम है क्योंकि भारत में दूसरे देशों की तुलना में युवा मरीज ज्यादा हैं, जिनकी मृत्यु की संभावना कम होती है। लेकिन भारत में युवा मरीजों के मरने की रफ्तार अनुमानों से कहीं ज्यादा है।


सामान्य धारणा है कि भारत में कोविड-19 से मृत्यु दर दुनिया में सबसे कम है। पहली नजर में व्यापक तौर पर ऐसा लगता है कि भारत में 2.8 फीसदी मरीजों की मृत्यु दर इटली की 14.3% की दर से काफी कम है। दूसरे देशों की तुलना में संयुक्त तौर पर कुल मामलों की मृत्यु दर (सीसीसीएफआर) काफी कम दिखाई देती है। सीसीसीएफआर किसी एक दिन में कुल मामलों और कुल मौतों का अनुपात है।


किसी मरीज की मृत्यु संक्रमण होने के कई दिन बाद होती है, लिहाजा सीसीसीएफआर मृत्यु की संभावना बताती है, खासतौर पर जब मामले बढ़ रहे हों। सही मायने में मृत्यु दर की जनसंख्या के प्रत्येक वर्ग में गणना की जानी चाहिए। एक समय पर संक्रमित लोगों का समूह बनाना चाहिए, लेकिन इसका आकलन कठिन है, लिहाजा पूरी दुनिया में कोविड-19 की मृत्यु दर के लिए सीसीसीएफआर का इस्तेमाल होता है।


युवाओं के लिए संकट बनी महामारी


इटली-चीन के आयु वर्ग से भारत में मृत्यु का आकलन


अगर भारत में मौतों की वास्तविक संख्या अनुमानों से काफी कम है तो इसका मतलब है कि भारत इन देशों के मुकाबले बेहतर कर रहा है, अन्यथा इसके उलट अर्थ निकाला जाएगा। चूंकि चीन में अप्रैल मध्य में मौतों के आंकड़ों को संशोधित किया गया था, लिहाजा हमने इटली के डाटा का इस्तेमाल किया। टेबल 1 में महत्वपूर्ण तथ्य था कि अगर इटली के आयु वर्ग से जुड़ी मृत्यु को भारत में लागू करें तो मौतें 535 होनी चाहिए, लेकिन 30 अप्रैल को आंकड़ा 1074 था।


आयु वर्ग के हिसाब से देखें तो फिगर 2ए से पता लगता है कि भारत और महाराष्ट्र में 40 साल से कम आयु वर्ग के मरीजों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है। जबकि इटली में करीब 14.3 फीसदी इस आयुवर्ग के थे। जबकि 56 फीसदी मरीज 60 साल से ज्यादा उम्र के थे। तात्पर्य यह है कि भारत में कोविड के मरीज कम उम्र के हैं, अगर वे इटली या चीन में भी होते तो मरने की संभावना कम होती। लेकिन फिर भी भारत में जो युवा मरीज हैं, उनकी मृत्यु दर ज्यादा है। लिहाजा भारत में आयु वर्ग के हिसाब से मृत्यु दर इटली के मुकाबले ज्यादा है।