किसी भी व्यक्ति में जन्म से होते हैं ये चार गुण, इन्हें नहीं सिखा सकता कोई शिक्षक


कहते हैं कि कोई अपना व्यवहार बदल सकता है लेकिन अपनी प्रकृति नहीं, जैसे धरती के आने के बाद इंसान अपने अनुभवों, परवरिश, ज्ञान आदि माध्यमों से बहुत कुछ सीखता है लेकिन फिर भी व्यक्ति में कुछ चीजें प्राकृतिक रूप से होती है, जिसे कभी बदला नहीं जा सकता या ये बातें उन्हें कोई भी नहीं सिखा सकता। चाणक्य नीति में इन गुणों का उल्लेख किया गया है-


दान 
दान का अमीर-गरीब या कम-ज्यादा से कोई लेना-देना नहीं होता। दान करने की एक प्रकृति होती है, जो लोगों में जन्मजात होती है। जिसके पास भंडार भरे रहते हैं, वो यह गुण न होने पर दान नहीं करता, जबकि मध्यवर्गीय व्यक्ति अपने हिस्से में से कुछ हिस्सा जरुरतमंद को दान कर देता है। दान देने वाले लोगों में दूसरों के दुख को समझने का गुण होता है। वो दूसरे के दुख से दुखी हो जाता है। 


धैर्य 
आप किसी भी इंसान को धैर्य रखने का पैमाना नहीं सिखा सकते। सभी में धैर्य रखने की अलग-अलग क्षमता होती है। धैर्य रखना भी एक प्राकृतिक गुण है, जिसे विकसित करना बेहद मुश्किल है। किसी व्यक्ति में ज्यादा धैर्य होता है और किसी भी बेहद कम। 


निर्णय क्षमता 
आपने अपने आसपास ऐसे बहुत लोगों को देखा होगा, जो अपने फैसले के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। वहीं, ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो किसी बड़े पद पर होते हुए भी निर्णय नहीं ले पाते हैं। वहीं, कुछ लोगों की निर्णय क्षमता बहुत तेज होती है। 


मधुर वाणी 
बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो हमेशा लोगों से रुखेपन से बात करते हैं। सकारात्मक बात पर भी उनका नजरिया बहुत ही रुखा होता है और वो कड़वा बोल देते हैं। ऐसे में प्राकृतिक रूप से मधुर वाणी का गुण लेने वाला व्यक्ति कभी भी कड़वा बोलने की पहल नहीं करता। कड़वे बोल सुनकर एक समय बाद उसकी प्रतिक्रिया जरूर कड़वी या रुखी हो सकती है।