जानिए क्‍या होते हैं कुंडली में अपने घर के योग

रहने योग्य घर मनुष्य जीवन की एक मूल आवश्यकता है। इसके बिना जीवन का संचालन कठिन होता है। अपने लिए एक अच्छे घर की इच्छा हर किसी व्यक्ति के मन में होती है, परंतु सबको अपने घर या मकान का सुख समान रूप से नहीं मिल पाता। कुछ लोगों को जहां पैतृक संपत्ति के रूप में घर की प्राप्ति होती है तो कुछ लोगों को अपने घर की प्राप्ति के लिए बहुत संघर्ष और विलम्ब का सामना करना पड़ता है। बहुत से लोगों को जीवनभर संघर्ष और प्रयास करने पर भी अपने घर का सुख नहीं मिल पाता। अपने मकान या घर का सुख हमारी जन्मकुंडली की ग्रहस्थिति पर निर्भर करता है। जानिए कुंडली में कौन से ग्रह योग व्यक्ति को अपने घर का सुख प्रदान करते हैं और किन ग्रह स्थितियों में व्यक्ति को अपने घर का सुख मिलने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।


कुंडली में चतुर्थ भाव को भूमि, जायदाद, सम्पत्ति, मकान और घर के सुख का कारक माना गया है। शुक्र को सम्पत्ति, मकान, घर का सुख और भौतिक संसाधनों का कारक भी माना गया है। मुख्य रूप से कुंडली के चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और शुक्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन में अपने घर या गृह संपत्ति के सुख के स्तर को दर्शाती है। चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और शुक्र के अच्छी स्थिति में होने पर व्यक्ति को अपनी गृह संपत्ति का अच्छा सुख मिलता है और चतुर्थ भाव एवं शुक्र पीड़ित या कमजोर होने पर व्यक्ति को अपनी गृह संपत्ति की प्राप्ति के लिए बहुत परिश्रम और संघर्ष करना पड़ता है।

 

अच्‍छे गृह के लिए यह हैं योग
-यदि कुंडली में चतुर्थेश चतुर्थ भाव में ही स्थित हो या चतुर्थेश (चौथे भाव का स्वामी) की चतुर्थ भाव पर दृष्टि पड़ रही हो तो व्यक्ति को अपने घर और अच्छे सुख की प्राप्ति होती है।

-यदि कुंडली में चतुर्थेश स्व या उच्च राशि में शुभ भाव में हो तो व्यक्ति को अच्छी गृह संपत्ति मिलती है।
-चतुर्थेश मित्र राशि में होकर भी यदि केंद्र (1,4,7,10 भाव) या त्रिकोण (1,5,9 भाव) में हो तो भी व्यक्ति को अपने घर का सुख मिलता है।
-शुक्र यदि कुंडली में स्व या उच्च राशि (वृष, तुला, मीन) में शुभ भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को उच्च स्तर की गृह संपत्ति की प्राप्ति होती है।
-शुक्र का केंद्र और त्रिकोण में बलि होकर बैठना भी अपने घर का सुख देता है।
-शुक्र यदि कुंडली में बारहवें भाव में हो और पाप ग्रहों से मुक्त हो तो भी व्यक्ति अच्छी गृह संपत्ति प्राप्त करता है।
-चतुर्थेश का यदि लग्नेश, पंचमेश, नवमेश, दशमेश, या लाभेश के साथ राशि परिवर्तन हो रहा हो तो भी अच्छी गृह संपत्ति का योग बनता है।

 

गृह सम्‍पत्‍ति के योग में बाधा
-यदि कुण्डली में चतुर्थेश पाप भाव (6,8,12 भाव) में हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपनी गृह संपत्ति या घर की प्राप्ति में बहुत बाधाएं और उतार-चढाव का सामना करना पड़ता है।
-चतुर्थेश यदि अपनी नीच राशि में हो तो भी व्यक्ति को अपने घर की प्राप्ति या सुख में संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
-यदि चतुर्थ भाव में कोई पाप योग (ग्रहण योग, गुरुचांडाल योग, अंगारक योग आदि) बन रहा हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपने घर का सुख नहीं मिल पाता या बहुत संघर्ष के बाद ही व्यक्ति अपनी गृह संपत्ति अर्जित कर पाता है।
-चतुर्थ भाव में पाप ग्रहों का नीच राशि में बैठना भी व्यक्ति को अपने घर या मकान का सुख नहीं मिलने देता।
-यदि कुंडली में शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो, अष्टम भाव में हो या पाप ग्रहो से अति पीड़ित हो तो भी व्यक्ति को अपने घर के सुख में बहुत बाधाएं आती हैं।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)