इससे खत्‍म हो जाते हैं विवाह रेखा के दोष


हस्‍तरेखा विज्ञान में विवाह रेखा, भाग्‍य रेखा अैर मंगल पर्वत का खास महत्‍व है। ये तीनों ही व्‍यक्‍ति के जीवन के बहुत से पक्षों के बारे में जानकारी देते हैं। भाग्‍य रेखा जहां व्‍यक्‍ति के भाग्‍य की ओर इशारा करती है वहीं, विवाह रेखा से व्‍यक्‍ति के वैवाहिक जीवन के बारे में पता चलता है।


हस्‍तरेखा विज्ञान के अनुसार हथेली में विवाह रेखा सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत पर स्थित होती है। इस रेखा के विभिन्‍न प्रकार वैवाहिक जीवन के बारे में बहुत से संकेत मिलते हैं। यदि विवाह रेखा सीधी न हो और नीचे की ओर झुक रही हो या आकार में गोल हो रही हो तो ऐसी स्थिति हस्‍तरेखा की दृष्‍टि से जीवनसाथी के स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं मानी जाती। विवाह रेखा में ये दोष हों और उस पर चतुष्कोण बन जाए तो जीवनसाथी के जीवन से जुड़ी परेशानियों में राहत प्रदान करता है। इसके बाद विवाह रेखा में आए दोष लगभग नगण्‍य हो जाता है।


इसी तरह हथेली में भाग्य रेखा टूटी हो तो कार्यों में रुकावटें आती हैं। किसी भी काम में सफलता नहीं मिलती। कदम-कदम पर रुकावटें आते हैं। ऐसे में भाग्य रेखा के आसपास ही चतुष्कोण बन जाए तो समस्याएं आती हैं, लेकिन सफलता भी मिल जाती है।


हथेली में मंगल पर्वत दो जगह होता है। एक तो जीवन रेखा के ठीक नीचे अंगूठे के पास वाले स्थान पर होता है। दूसरा हृदय रेखा के ठीक नीचे मस्तिष्क रेखा के पास वाले स्थान पर होता है। मंगल पर्वत की दबी हुई स्थिति साहस की कमी करती है। मंगल पर्वत पर चतुष्कोण होने से साहस की कमी होने पर भी असफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है।


(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)