गुप्त नवरात्र से बढ़कर नहीं कोई साधना काल


आषाढ़ और पौष माह में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में साधना जितनी गोपनीय रखी जाती है सफलता उतनी अधिक मिलती है। इस साधना से देवी मां प्रसन्न होती हैं तथा वरदान प्रदान करती हैं। भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं। विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।


गुप्त नवरात्र में साधक साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। साधक कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इन दिनों घर आई स्त्री का सम्मान करें। मां के समक्ष घी के दीए जलाएं। सुबह-शाम मंत्र जाप, चालीसा और सप्तशती का पाठ करें। लौंग-बताशे के रूप में प्रसाद अर्पित करें। समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधना काल नहीं हैं। संयम-नियम व श्रद्धा के साथ गुप्त नवरात्र को सम्पन्न करने से बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।


इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।