गर्भवती महीला को किस तरह प्रभावित करता है डेंगू?

 


डेंगू भी मच्छर से होने वाली बीमारियों में से एक घातक बीमारी है। डेंगू एक ऐसा वायरल संक्रमण है जो एक संक्रमित मादा एडीज़ नामक मच्छर की प्रजाति के काटने से फैलता है। डेंगू बुखार एक फ्लू जैसी बीमारी है जो शिशुओं, छोटे बच्चों, वयस्कों के साथ-साथ बुज़ुर्गों जैसे हर वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित करती है। 


डेंगू में अचानक बुखार शुरू होने के साथ-साथ आमतौर पर सिरदर्द, थकावट, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन (लिम्फैडेनोपैथी), और दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 


गर्भावस्था में कैसे करता है प्रभावित


गर्भावस्था में वैसे भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ता है, जिससे डेंगू होने का ख़तरा काफी बढ़ जाता हैं। डॉ. रचना कुचरिया का कहना है कि अगर किसी गर्भवती महिला को डेंगू हो जाता है, तो इससे उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ गर्भ पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। कई बार तो देखा गया है कि डेंगू के कारण कई महिलाओं का गर्भ भी गिर जाता है और साथ ही साथ मां की जान पर भी खतरा बढ़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए और बचाव करना चाहिए। जिससे वे खुद को और होने वाले बच्चे को डेंगू संक्रमण से बचा सकें।


डेंगू होने पर गर्भवती महिलाओं में दिखते हैं ऐसे लक्षण


1. गर्भवती महिला को अगर डेंगू को जाए तो उसे काफी भारी मात्रा में रक्त्स्त्राव हो सकता है जिससे कमज़ोरी और दूसरी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।


2. डेंगू से बहुत सारे मामलों में तो गर्भ भ्रूण की भी शिकायत देखी गई है।


3. मृत्यु दर भी काफी आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ जाता है।


4. डेंगू से मां और बच्चा काफी कमज़ोर हो जाते हैं।


5. समय से पहले बच्चे का पैदा होना भी एक चिंताजनक शिकायत है।


6. प्लेटलेट्स (रक्त कोशिकाओं) की भारी संख्या में कमी हो जाना एक सबसे बड़ी दिक्कत है।


मां से बच्चे को डेंगू होने के आसार कम


यह अभी तक निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि मां से गर्भ में पल रहे शिशु को डेंगू हो सकता है या नहीं। इसे वर्टिकल ट्रांसमिशन कहा जाता है। कुछ ऐसे मामलों के प्रमाण हैं, जिनमें ऐसा हुआ है और जन्म के समय शिशु में डेंगू पाया भी गया। लेकिन, इस बारे में अभी पूर्ण रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता।


डेंगू के मां से शिशु में पारित होने का जोखिम काफी कम माना जाता है। हालांकि, इसकी संभावना तब ज़्यादा मानी जाती है जब गर्भावस्था के अंत में मां को डेंगू हो जाए।


यदि गर्भवती महिला को शिशु के जन्म के समय डेंगू हो, तो नवजात शिशु को जन्म के बाद शुरुआती दो हफ्तों में डेंगू होने का ख़तरा रहता हैं। गर्भ में शिशुओं में डेंगू होने का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। इसलिए इससे बचना ही एकमात्र उपाय है। अपना ध्यान रखें, फुल स्लीव्स के कपड़े पहने, घर में मच्छर भगाने की मशीनों का प्रयोग करें और इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीज़ों का सेवन करें।