एक महीने में तीन ग्रहण, जानिए क्‍या होकर रहेगा


जून लगते ही ग्रहों में कई निर्णायक परिवर्तन हो रहे हैं। इनमे सबसे पहले पांच जून को चन्द्रग्रहण होगा और यह उपछायी ग्रहण होगा जो यहां पर मान्य नहीं होगा। भारत में इसमें सूतक काल भी नहीं होगा। बावजूद इसके देश एवं विश्व पर यह काफी प्रभाव डालेगा। इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण होगा जिसका व्यापक प्रभाव होने जा रहा है। इसमें सूतक काल भी होगा। इसके बाद 30 जून को वक्री ब्रहस्पति धनु राशि में प्रवेश कर केतु के साथ पुनः युति करेंगे। साथ ही पांच जुलाई को पुनः उपछायी चन्द्र ग्रहण होगा।
इस प्रकार पांच जून से पांच जुलाई के बीच एक माह में तीन प्रकार से ग्रहण का प्रभाव होगा। इसमें 21 जून के सूर्यग्रहण सबसे अधिक प्रभावी होगा। ज्‍योतिषीय दृष्‍टि से अगले दो महीने कोरोना के लिये निर्णायक समय रहेगा। जून एवं जुलाई में कोरोना अपने चरम पर पहुंच सकता है। विशेषत: 15 जून के बाद अत्यधिक सजगता की आवश्यकता होगी। 21 जून को सूर्य ग्रहण के पास पहुंचते हुए समाज में विद्रोह की भावना बढ़ेगी। बढ़ती आर्थिक तंगी का नकारात्मक असर लोगों के स्वभाव पर भी दिखने लगेगा। अग्नि कांड, प्राकृतिक आपदा, भूकंप और तेज तूफान आ सकते हैं। कोरोना के साथ यह हमारी निर्णायक लड़ाई होगी। कोरोना कई विशिष्ट व्यकियों को भी अपने चपेट में ले सकता है। जुलाई के बाद कोरोना से सम्बंधित सकारात्मक समाचार मिलने लगेंगे, लेकिन दो माह सरकारी नियमों एवं कोरोना से सुरक्षा तरीकों का पूर्ण पालन करना ही समझदारी भरा कदम रहेगा।
चीन के साथ सम्बन्धों में अगले तीन सप्ताह बहुत निर्णायक होंगे। युद्ध के हालात बढ़ते जाएंगे,परन्तु कूटनीतिक रूप से भारत इसमें विजयी रहेगा। पाकिस्तान के साथ भी कटुता चरम पर होगी। आतंकी घुसपैठ बढ़ाने के प्रयास होंगे।
जो लोग तनाव के मरीज हैं या अत्यधिक भावुक हैं, वह अगले एक माह सम्भल कर रहें। गृहक्लेश एवं विवाहेत्‍तर के मामले भी बढेंगे। वृष, मिथुन, वृश्चिक, धनु एवं मकर राशि वाले व्यक्तियों को अगले एक माह विशेष सावधानी रखनी पड़ेंगी। मानसिक अवसाद एवं ग्रहक्लेश से बचें। श्री हनुमान चालीसा एवं सुंदरकांड का पाठ करना अच्‍छा रहेगा। गायत्री मंत्र एवं महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)