दुनियाभर में बिना लक्षण वाले कोरोनावायरस मरीजों की संख्या ज्यादा है। ये मरीज घर पर ही क्वारेंटाइन में ठीक हो जाते हैं,लेकिन ऐसा नहीं है कि इन्हें कोरोनावायरस से कोई नुकसान नहीं पहुंचता। कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन के अनुसार बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों के फेफड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है और इसके बारे में पता भी नहीं चल पाता।
कइयों में नहीं दिखते लक्षण-
सार्वजनिक डेटासेट का विश्लेषण करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड -19 से संक्रमित 45 प्रतिशत लोगों में, वायरस के कारण होने वाली बीमारी, खांसी, बुखार या सांस की तकलीफ जैसे पारंपरिक संकेत कभी नहीं होते हैं। एक और डाटासेट में देखा गया कि बिना लक्षण वाले 50 फीसदी मरीजों के सीटी स्कैन में फेफड़ों को हुए गंभीर नुकसान को देखा गया।
ऐसे किया अध्ययन-
शोधकर्ताओं ने क्रूज शिप के यात्रियों, घर पर इलाज ले रहे लोगों और जेल में बंद कैदियों पर अध्ययन किया। इनमें 3000 लोगों को शामिल किया गया। इनमें 96 फीसदी लोग बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज थे। शोधकर्ताओं ने इन सभी के सीटी स्कैन को देखा। इनमें से 76 लोगों के फेफड़ों में असामान्यता देखी गई। फेफड़ों में एक सफेद रंग का बादल दिखाई दे रहा था, जिससे पता चलता है कि फेफड़ों में तरल, बैक्टीरिया और प्रतिरक्षा कोशिकाएं बेहद ज्यादा मात्रा में भर गई हैं। इससे फेफड़ों के ऑक्सीजन सोखने की क्षमता में कमी आती है।
वायरस फैला रहे बिना लक्षण वाले मरीज-
शोधकर्ताओं ने कहा कि शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि जिन लोगों में लक्षण नहीं होते वे वायरस को ज्यादा फैलाने का काम करते हैं। डॉक्टर इरिक टोपोल ने कहा, गुपचुप तरीके से वायरस को फैलाने से उसे नियंत्रित करना और मुश्किल हो जाता है। इस शोध से इस बात को भी बल मिलता है कि सभी के लिए मास्क का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है ताकि बिना लक्षण वाले मरीज भी इसे न फैलाएं।