अनलॉक 1 में बढ़े मामलों से सख्ती के मूड में केंद्र, दफ्तर-बाजार पर नजर

 


एक जून से शुरू हुए अनलॉक वन के दौरान देशभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी से सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। केंद्र को विभिन्न राज्यों से जो जानकारी मिली है उसमें इसकी वजह छूट के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और सुरक्षात्मक उपायों के दिशानिर्देश पर अमल ना हो पाना है। जल्द ही सरकार दिशानिर्देशों के पालन के लिए सख्ती कर सकती है।


देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं रखा जा सकता है, लेकिन छूट के दौरान संक्रमितों की संख्या चिंता का सबब बनती जा रही है। दूसरे देशों में जहां लॉकडाउन के बाद संख्या में कमी आई है, वहीं भारत के हालात विपरीत हैं। कोरोना की मृत्यु दर में कमी थोड़ी राहत देती है, पर दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों के हालात अब भी काबू में नहीं आ पाना सबसे बड़ी चिंता का कारण है।


दफ्तर-बाजार पर नजर: नए मामलों की संख्या दफ्तरों और बाजार खुलने से बढ़ी है। आर्थिक पैकेज और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के चलते अनलॉक वन तो शुरू किया गया, लेकिन ऊपर से नीचे तक व्यापक कार्ययोजना ना बन पाने के कारण यह स्थिति बनी है। हर सेक्टर के लिए दिशानिर्देश तय होने के बाद ही विभिन्न उपायों पर प्रभावी अमल किया जा सकता है।
 
कुछ राज्य सख्ती के पक्षधर: केंद्र की छूट से राज्य भी बहुत ज्यादा सख्ती नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन कुछ राज्यों का कहना है कि अगर केंद्र से कड़े निर्देश आएंगे तो उन्हें भी पालन करने में आसानी होगी। ऐसे में संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही कड़े दिशानिर्देश जारी कर सकती है। सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजर के उपयोग को अनिवार्य करने के लिए सख्ती बरती जा सकती है।