शादी न सत्कार, तंगी से जूझ रहे ब्राह्मण महाराज


शाहजहांपुर । लाकडाउन की अवधि में मंदिरों में अामजन का प्रवेश वर्जित है। विवाह संस्कार भी नहीं हो रहे। ऐसे में ब्राह्मण देवता के सामने परिवार को चलाने का संकट खड़ा हो गया। ब्राह्मण पूज्यनीय हैं। समाज में उन्हें आदर सम्मान है। वह और कोई काम भी नहीं कर सकते हैं। पूजन, कथा, यज्ञ-हवन और मंदिर में आने वाला चढ़ावा व धार्मिक आयोजन बंद होने से पुजारी मायूस हैं। उनका कहना है कि ब्राह्मणों को योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता है।


कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती


श्री रुद्र बाला जी धाम के पुजारी कान्हा कृष्ण शुक्ला कहते हैं कि कोरोना संकट में मंदिर बंद हैं, धार्मिक कार्यक्रम करने की अनुमति भी नहीं है। किसी भी प्रकार का कोई रोजगार नहीं है। ऐसे हालात में मंदिर के पुजारियों और कर्मकांडी ब्राह्मणों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। सरकार की नीतियों के कारण हम किसी श्रेणी में भी नहीं आते। जिससे कोई सरकारी सहायता मिल सके।


धार्मिक आयोजन के लिए नहीं बुला रहे लोग


विश्वेश्वर नाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग मन्दिर के पुजारी आचार्य हरिओम ने बताया लाकडाउन शुरू होने के बाद से अनुष्ठान, कर्मकांड, भागवत कथा, यज्ञ-हवन सारे ही वैदिक कर्म बंद हो गए हैं। कोई भी यजमान अपने घर में कोरोना वायरस के चलते धार्मिक आयोजन के लिए बुलाना नहीं चाहता है। संकट की घड़ी में कर्मकांडी ब्राह्मणों का रोज का खर्चा निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है।


हम कौन सा काम करें, जिससे परिवार चले


कथा व्यास आचार्य नवल किशोर महाराज बताते हैं कि कोरोना वायरस की वजह से शादी-समारोह पूरी तरह से निरस्त हो गए हैं। जिन तीन महीनों में विवाह के शुभ मुहूर्त की लंबी तिथियां थीं। वह सभी कोरोना वॉयरस की भेंट चढ़ गईं। सारे पंडितों की स्थिति काफी खराब हो गई। ऐसे में हम कौन सा काम करें, जिससे हमारा परिवार चल सकें।


सरकार को आर्थिक सहयोग करना चाहिए


अंकुर शुक्ला कहते हैं सरकार को मंदिर के पुजारी व कर्मकांड ब्राह्मणों के हितार्थ आर्थिक सहयोग करना चाहिए। महामारी काल में मंदिर बंद हैं। कर्मकांड भी बंद हो गए हैं। ऐसी हालत में ब्राह्मणों और पुजारियों की स्थिति काफी खराब है। मध्य प्रदेश और पूर्वी दिल्ली में ब्राह्मणों की मदद की गई। वैसे ही यूपी सरकार भी सहयोग करें।


परिवार का खर्च चलाना मुश्किल


कथाव्यास श्रवण कुमार कहते है कि पिछले कुछ महीनों में शुभ मुहूर्त की लाइन लगी थी। विवाह कराने की तिथियां भी आ गई थीं। लाकडाउन ने सारी व्यवस्था को पटरी से उतार दिया। परिवार को चलाने के लिए संकट खड़ा हो गया। कर्मकांडी ब्राह्मण दूसरा कोई काम तो कर नहीं सकता है। ऐसे में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा।


कोरोना ने कर दिया बेसहारा


कथाव्यास आलोक शुक्ला कहते है कि भगवान की पूजा यजमानों के दक्षिणा सहयोग से ब्राह्मणों का परिवार चलता है। कोरोना वॉयरस ने अर्चक पुजारी ब्राह्मणों को बेसहारा कर दिया। उनके सामने परिवार को चलाने की चुनौती खड़ी हो गई। सरकारों की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता है। ब्राह्मणों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है।