LAC पर चीन से बिगड़ते हालात को लेकर PM मोदी की NSA अजीत डोभाल और CDS बिपिन रावत के साथ बैठक


नई दिल्ली । लद्दाख सीमा पर चीन के साथ पिछले कुछ दिनों से चले आ रहे गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ आज बैठक में स्थिति की समीक्षा की। पीएम मोदी की बैठक से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जनरल रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक में लद्दाख में चीन सीमा पर सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा की।


सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने डोभाल, जनरल रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ पिछले कुछ दिनों से लद्दाख में चीन से लगती सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच उत्पन्न तनाव और इस बारे में सेना के रुख की जानकारी ली। ये दोनों बैठकें सेना के शीर्ष कमांडरों के बुधवार (27 मई) से शुरू होने वाले तीन दिन के सम्मेलन से पहले हुई हैं। इससे यह तय माना जा रहा है कि सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में भी यह मुद्दा प्रमुख रूप से छाया रहेगा।


समझा जाता है कि शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने मोदी को पूर्वी लद्दाख में उभरती स्थिति की जानकारी दी। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि पूर्व निर्धारित बैठक का एजेंडा महत्वाकांक्षी सैन्य सुधार और भारत की सैन्य ताकत को मजबूत बनाने के बारे में चर्चा करना था। सैन्य प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री को लद्दाख की स्थिति से अवगत कराया गया। हालांकि, इस बैठक के बारे में कोई आधिकारिक टिप्पणी या ब्योरा नहीं आया है।


आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल लद्दाख और उत्तरी सिक्किम एवं उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। एक अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया, ''भारत पर सैन्य दबाव बनाने की चीन की रणनीति काम नहीं करेगी। हम वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति कायम रखना चाहते हैं।" बहरहाल, बैठक में शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने मोदी को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर महत्वपूर्ण आधारभूत परियोजनाओं के लागू होने की स्थिति के बारे में जानकारी दी।


दो दिन पहले ही लेह का दौरा कर लौटे सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने रक्षा मंत्री को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ताजा स्थिति से अवगत कराया। सिंह ने सेना द्वारा उठाए जा रहे कदमों और इस स्थिति से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की भी जानकारी ली। उल्लेखनीय है कि दोनों सेनाओं के बीच पेगांग झील क्षेत्र में गत 5 और 6 मई को हुई मामूली झड़प के बाद से दोनों ओर के सैन्य अधिकारियों की करीब पांच बैठकें हो चुकी हैं लेकिन स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है।


इस बीच दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के अधिकारी भी संपर्क बनाये हुए हैं, लेकिन अभी तक दोनों पक्षों के बीच किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई है। चीन दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में संपर्क के लिए भारत द्वारा बनायी जा रही सड़क का कड़ा विरोध कर रहा है, जबकि भारत का कहना है कि वह यह सड़क अपनी सीमा के भीतर बना रहा है और चीन को इस पर ऐतराज नहीं होना चाहिए।


सूत्रों ने बताया कि भारत और चीन के बीच पिछले 20 दिनों से जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने उत्तरी सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश के साथ लद्दाख से जुडे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी को मजबूत बनाया है, जो ऐसा संदेश देने के लिए है कि भारत, चीन के आक्रामक सैन्य रुख के दबाव में बिल्कुल नहीं आएगा।


गौरतलब है कि लद्दाख में स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच 5 मई को झड़प हो गई औ इसके बाद स्थानीय कमांडरों के बीच बैठक के बाद दोनों पक्षों में कुछ सहमति बन सकी। इस घटना में भारतीय और चीनी पक्ष के 100 सैनिक घायल हो गए थे। इस घटना पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। 9 मई को उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी।