किसी भी देश में कोरोना को बेअसर करने की पर्याप्त प्रतिरोधी क्षमता नहीं


कोरोना की महामारी के छह माह पूरे हो गए हैं, लेकिन किसी भी देश की आबादी में कोरोना को बेअसर करने की पर्याप्त प्रतिरोधी क्षमता विकसित नहीं हो पाई है। हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने कहा है कि इससे बड़ी आबादी पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। यह अनुमान लगा पाना भी मुश्किल है कि संक्रमण का आंकड़ा कहां जाकर रुकेगा। हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने कहा, वायरस को बेअसर करने के लिए 60 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी पैदा होना जरूरी है।


शोधकर्ताओं का कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी (बड़ी आबादी में प्रतिरोधक शक्ति) यानी वायरस को कमजोर करने की क्षमता के लिए किसी देश की कम से कम 60 फीसदी आबादी में इसके एंटीबॉडी पैदा होना आवश्यक है। इन अध्ययनों का विश्लेषण करने वाले हार्वर्ड टीएच चॉन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विषाणु विज्ञानी माइकल मीना ने कहा कि किसी शहर की बड़ी आबादी में कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक शक्ति पैदा होने या संक्रमण के गंभीर न होने की क्षमता पाने में अभी लंबा समय है। 


स्वीडन और ब्रिटेन ने कोरोना के शुरुआती दिनों में लॉकडाउन न लागू कर हर्ड इम्यूनिटी पैदा करने की कोशिश की थी। इसमें बड़े पैमाने पर युवा आबादी में संक्रमण के जरिये प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने का मकसद था, लेकिन वे असफल रहे। अमेरिका का सर्वाधिक प्रभावित न्यूयॉर्क शहर में भी 20 फीसदी आबादी ही वायरस के संक्रमण के बाद एंटीबॉडी से लैस हुई है। चीन में बड़े पैमाने पर सर्वे चल रहा है, लेकिन वुहान सिटी के काम पर लौटे कर्मचारियों में से महज दस फीसदी ही एंटीबॉडी से लैस थे और कभी न कभी संक्रमण की चपेट में आए थे। 
 
न्यूयॉर्क स्टेट, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड, जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी बोस्टन, द पब्लिक हेल्थ एजेंसी ऑफ स्वीडन के अध्ययन से ये आंकड़े एकत्र किए गए। वुहान के आंकड़े सिर्फ देश लौटने वाले यात्रियों के हैं। प्रतिरोधक क्षमता किसी शहर की आबादी, सामाजिक संपर्क जैसे कारणों पर निर्भर करता है।  


हर्ड इम्यूनिटी का लाभ
किसी देश की आबादी में ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता से महामारी का संक्रमण तो धीमा पड़ सकता है। हर्ड इम्यूनिटी का स्तर पा लाने के बाद संक्रमण के गंभीर रूप लेने का खतरा नहीं रहता। मीना ने कहा कि अगर आप संक्रमित हैं और ऐसे कमरे में जाते हैं, जहां तीन-चार स्वस्थ लोग हैं तो सभी संक्रमित हो सकते हैं। लेकिन अगर उन 3-4 लोगों में महामारी के संपर्क में आने के बावजूद एंटीबॉडी के कारण स्वस्थ हैं तो संक्रमण का खतरा कम रहेगा। 


कहां कितनी आबादी में प्रतिरोधक क्षमता
न्यूयॉर्क-19.9%- दो मई तक
लंदन-17.5%-21 मई तक
मैड्रिड-11.3%-13 मई तक
वुहान-10%-20 अप्रैल तक
बोस्टन-9.9%-15 मई
स्टॉकहोम-7.3%-20 मई
बार्सिलोना-7.1%-13 मई


एंटीबॉडी टेस्ट पर दारोमदार
अध्ययन में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी (खून, प्रोटीन में मौजूद) की पहचान की गई। एंटीबॉडी टेस्ट या सेरोलॉजी सर्वे से बिना लक्षण वाले उन मरीजों की पहचान की जा सकती है, जिन्हें पता ही नहीं होता कि वे बीमार हैं, या सामान्य संक्रमण से लड़कर ठीक हो चुके होते हैं। 


भारत में भी लॉकडाउन पर ज्यादा भरोसा
एम्स जैसे भारतीय चिकित्सा संस्थानों का कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी की बजाय हमारा ध्यान लॉकडाउन के जरिये संक्रमण पर काबू पाने पर है। बड़े पैमाने पर प्रतिरोधक क्षमता पाने के साथ-साथ कोरोना का कोई टीका होना जरूरी है। यह हर देश की सामाजिक, आर्थिक स्थिति पर भी निर्भर करता है।