एक सिगरेट या पांच ग्राम गुटखा घटाता है जिंदगी के 11 मिनट


अगर आप एक दिन में एक सिगरेट पीते हैं या पांच ग्राम गुटखा चबाते हैं तो समझ लीजिए आपकी निर्धारित जिंदगी के 11 मिनट कम हो गए। चौंकिए नहीं, यह हम नहीं कह रहे बल्कि कैंसर रोग विशेषज्ञों और डब्ल्यूएचओ का आकलन है, जो कैंसर और हार्ट संबंधी बीमारियों की वजह तलाशने में जुटे हैं।
 
जेके कैंसर संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान या अन्य किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करने वालों को 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियां होने की संभावना रहती है। इनमें हृदय रोग प्रमुख है। तंबाकू का 70 फीसदी अंश खून के साथ नसों में दौड़ता है, जो मौत का बड़ा कारण बनता है। 


हैरत की बात है कि तंबाकू से मुंह और गले के कैंसर की चपेट में आने वाले सबसे अधिक युवा है, जिन्हें जागरूक करने के लिए इस वर्ष  'प्रोटैक्टिंग यूथ फ्रॉम इंडस्ट्री मैनुपुलेशन एंड प्रीवेंटिंग फ्रॉम टोबैको एंड निकोटीन यूज' स्लोगन से विशेष थीम जारी की गई है।


ऐसे लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा सर्वाधिक-
सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला के मुताबिक तंबाकू का सेवना करना कोरोना काल में किसी आफत से कम नहीं है। दुनियाभर में 30 से 40 फीसदी कोविड-19 संक्रमित तंबाकू सेवन करने वाले पाए गए हैं। यूरोप और अमेरिका से ऐसे लोगों की संख्या सर्वाधिक है। कोरोना से सबसे अधिक सांस रोगियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम वाले मरीजों की मौत हुई है। पूरी दुनिया में कैंसर रोगी भी अधिक चपेट में आए हैं।


यह भी जानें-
- देश में 60 फीसदी युवा मुख कैंसर की चपेट में हैं।
- वर्तमान में 40 प्रतिशत मुख कैंसर रोगी हैं। 
- तंबाकू में 4000 घातक केमिकल होते हैं। 
- 69 रसायन कैंसर व हृदय रोग के लिए जिम्मेदार।
- तंबाकू का 70 फीसदी अंश खून के साथ नसों में दौड़ता है, जो मौतों का बड़ा कारण बनता है
- धूम्रपान या अन्य किसी भी रूप में तंबाकू खाने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर की संभावना
- तंबाकू से कैंसर की चपेट में आने वाले सबसे अधिक युवा, इस साल की थीम युवाओं पर ही


क्या कहते हैं आंकड़े-
2009-10 में यूपी में 33.9 फीसदी लोग किसी न किसी रूप से तंबाकू का सेवन कर रहे हैं।
2016-17 में तंबाकू व उनसे जुड़े उत्पाद खाने वालों की तादात बढ़कर 35.5 फीसद पहुंची।
2020 के अंत तक नशे के आदी लोगों की संख्या 49 फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान है।
(नोटः वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण-2 का यह डाटा यूपी आधारित है)


ऐसे पहचानें मुख कैंसर-
- कैंसर की शुरुआत मुंह के अंदर छाले या छोटे-छोटे घाव से होती है।
- धीरे-धीरे गले में दिक्कत होने लगती है और निगलने में तकलीफ होना।
- मुंह में घाव होना, सूजन होना, लार में खून आना, जलन, मुंह में दर्द होना।
- मुंह में कहीं पर भी गांठ महसूस होना कैंसर की सबसे बड़ी पहचान होती है।
- मुंह के अंदर कोई भी रंग परिवर्तन दिखे तो कैंसर की जांच करा लें।


मुख कैंसर से कैसे बचें-
धूम्रपान, पान मसाला एवं नशे से तुरंत दूरी बनाना ही एकमात्र उपाय है।
गुटखा खाते हैं तो दांतों और मुंह की प्रतिदिन अच्छी तरह सफाई करें।
जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ न लें।
मुंह के अंदर घाव व छाले लगातार हों तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लें।


पूरी दुनिया में कई स्तरों पर शोध हुए हैं जिससे यह साबित हो चुका है कि तंबाकू किसी भी रूप में लेने से इंसान की जिंदगी कम होती है। युवाओं को इस खतरे को समझना चाहिए। क्योंकि उनकी लगभग 60 फीसदी आबादी इस नशे की गिरफ्त में जा रही है।
- प्रो. एसएन प्रसाद, निदेशक जेके कैंसर संस्स्थान


-इनसे सीखें-
लॉकडाउन ने राजेश की छुड़ा दी 28 साल पुरानी लत-
कानपुर के रामबाग निवासी स्टेशनरी कारोबारी राजेश तिवारी पिछले 28 सालों से पान मसाला खा रहे थे। इसकी लत ने उन्हें इस कदर जकड़ रखा था कि सुबह से लेकर देर रात तक मुंह में मसाला भरा रहता। एक महीने में करीब 4 हजार का मसाला खा जाते थे। लॉकडाउन में पत्नी रीता, बेटी उमंग और बेटे मनु के कहने और इच्छाशक्ति के दम पर मसाला खाना बंद कर दिया। शुरू में काफी बेचैनी रही। पहले लगता था कि शायद मैं कभी मसाला नहीं छोड़ पाऊंगा। जैसे-जैसे दिन बीते खुद पर विश्वास बढ़ता गया कि मैं इसे छोड़ सकता हूं। बोले-भला हो लॉकडाउन का जो 28 साल की आदत छूट गई।