दिमाग में बदलाव कर सूंघने और स्वाद की शक्ति को प्रभावित कर रहा कोरोना वायरस


कोरोनावायरस मरीजों के दिमाग पर किए गए ब्रेन स्कैन से पता चला है कि कैसे वायरस दिमाग में बदलाव कर रहा है और लोगों के सूंघने की क्षमता को कम कर रहा है। इतालवी शोधकर्ताओं का विश्वास की उनका शोध पहला है जिसमें किसी जीवित मरीज के दिमाग में हुए बदलावों को देखा जा सका है। डॉक्टरों का मानना है कि कोरोनावायरस संक्रमण के कारण सूंघने की क्षमता में कमी आना काफी सामान्य लक्षण है। पूर्व के शोधों में दर्शाया गया है कि 65 फीसदी संक्रमित लोगों में सूंघने की क्षमता कम होने के लक्षण दिखे।
 
इस शोध में पहली बार मेडिकल इमेजिंग द्वारा दिखाया गया है कि यह लक्षण सिर्फ कोरोनावायरस के हवा की नली में संक्रमण की वजह से नहीं होता है बल्कि वायरस दिमाग पर भी हमला करता है। ब्रेन इमेज में दिमाग के उस हिस्से में हल्का-सा बदलाव देखने को मिला है जो सूंघने की क्षमता प्रदान करता है। मिलान के आईआरसीसीएस इंस्टीट्यूटो क्लीनिको ह्यूमानिटास और ह्यूमानिटास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इमेज के अध्ययन के बाद यह जानकारी दी है। 


दिमाग के दो हिस्सों में बदलाव पाया- 
डॉक्टरों ने एक 25 वर्षीय चिकित्साकर्मी पर अध्ययन किया। इस महिला कर्मी में कोरोनावायरस के कोई लक्षण नहीं दिखे थे। सिर्फ उसके संघूने और स्वाद की शक्ति खत्म हो गई थी। डॉक्टरों ने इस महिला के दिमाग की एमआरआई की और उसके दिमाग के दो हिस्सों में बदलाव पाया। 


दिमाग के राइट गाइरस रेक्टस और ओल्फैक्ट्री बल्ब में बदलाव देखा गया। ओल्फैक्ट्री बल्ब नाक से अनुभवों की जानकारी लेकर गाइरस रेक्टस समेत अन्य क्षेत्रों तक पहुंचाता है जो उसकी प्रोसेसिंग करता है। बाद में टेस्ट में महिला कर्मी को पॉजिटिव पाई गई। बाद में डॉक्टरों ने देखा कि दिमाग में हुए इन बदलावों से लंबे समय के लिए कोई नुकसान नहीं हुआ। शोधकर्ताओं ने कहा, एमआईआर की रिपोर्ट से पता चलता है कि सार्स कोव-2 वायरस ओल्फैक्ट्री पाथवे के जरिए दिमाग तक पहुंचता है और हमला करता है जिससे सूंघने और स्वाद की शक्ति क्षीण हो जाती है। सूंघने की शक्ति कम होना कोरोनावायरस का एक प्राथमिक लक्षण है और यह हल्के संक्रमण की निशानी है।