दस फीसदी मधुमेह रोगियों की कोविड से 7 दिनों में हो जाती है मौत


10 में से एक कोविड-19 पीड़ित मधुमेह रोगी की अस्पताल में भर्ती होने के सात दिनों के अंदर मौत हो जाती है। एक हालिया शोध में यह दावा किया गया है। जर्नल डायबेटोलॉजिया में प्रकाशित शोध में दर्शाया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड से पीड़ित 65 फीसदी मधुमेह रोगी पुरुष हैं और इनकी औसत उम्र 70 के आसपास है।


फ्रांस के शोधकर्ताओं के अनुसार मधुमेह की जटिलताओं और बढ़ती उम्र के कारण मौत का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, ज्यादा बीएमआई वाले लोगों को वेंटिलेटर की ज्यादा जरूरत पड़ती है और उनकी मौत का खतरा भी ज्यादा होता है। 


शोधकर्ताओं की टीम ने 53 फ्रेंच अस्पतालों में भर्ती 1,317 मरीजों पर 10 मार्च से 31 मार्च के बीच अध्ययन किया। इनमें से 89 फीसदी मरीज टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित थे और तीन फीसदी टाइप-1 मधुमेह से।  शोध में मौजूद प्रतिभागियों में से 47 फीसदी मरीजों में आंख, किडनी या नसों से संबंधित परेशानियां थी। वहीं, 41 फीसदी लोगों में दिल, दिमाग और पैर संबंधी जटिलताएं थीं। सात दिन के बाद पांच में से एक मरीज को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी, वहीं दस में से एक की मौत हो गई।
 
शोध के परिणामों से पता चलता है कि आंखों, नसों, किडनी, दिल और दिमाग संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों में सातवें दिन मौत का खतरा दोगुना हो गया। वहीं, 75 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों में मौत का खतरा 14 फीसदी ज्यादा देखा गया। 


65 से 74 साल वालों में यह खतरा तीन फीसदी ज्यादा था। ऑब्सट्रिक्टिव स्लीप एपोनिया से पीड़ित लोगों में सात दिन बाद मौत का खतरा तीन गुना ज्यादा देखा गया।  शोध में दावा किया गया है कि कोविड-19 की गंभीरता पर इंसुलिन से कोई प्रभाव नहीं पड़ता इसलिए मधुमेह रोगियों को इंसुलिन देना जारी रखना चाहिए। महिलाओं की तुलना में पुरुषों के मौत की संख्या सातवें दिन ज्यादा रही।