छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन


रायपुर ।  छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी (74 वर्ष) का शुक्रवार को निधन हो गया। उन्हें नौ मई को दिल का दौरा पड़ने पर रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 20 दिन तक जीवन के लिए संघर्ष के बाद शुक्रवार दोपहर 3:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। जोगी के निधन पर प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।


नौ मई को गंगा इमली(जंगली फल) खाने के दौरान फल का बीज जोगी के गले में अटक गया था। इस दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह कोमा में चले गए। उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने जंगली फल का बीज को निकाल दिया, लेकिन जोगी कोमा से बाहर नहीं आ पाए। बुधवार की रात उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद उनकी स्थिति संभल नहीं पाई।


२० वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया।केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं,अपना पिता खोया है।माननीय अजीत जोगी जी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़ कर,ईश्वर के पास चले गए।गांव-गरीब का सहारा,छत्तीसगढ़ का दुलारा,हमसे बहुत दूर चला गया।


जोगी का पार्थिव शरीर रायपुर स्थित सागौन बंगला फिर बिलासपुर के मरवाही सदन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव जोगीसार (मरवाही-पेंड्रा- गौरेला) में शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। जोगी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह समेत केंद्रीय मंत्रियों और कई राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है।


9 मई को हुए भर्ती


जोगी को 9 मई को कार्डियक अरेस्ट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री के स्टाफ ने बताया कि 9 मई को सुबह नाश्ता करते हुए जोगी को अचानक सीने में दर्द महसूस हुआ और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। पत्नी रेणु जोगी इनके पास थीं और उन्होंने ही घर पर मौजूद स्टाफ को इसकी जानकारी दी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया और स्थिति गंभीर होने के चलते वेंटिलेटर पर रखा गया था। पिता की तबीयत खराब होने की सूचना मिलते ही बेटे अमित जोगी भी बिलासपुर पहुंच गए थे।


लंबे समय तक कांग्रेस में रहे जोगी


अलग छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने जोगी अपने अंतिम समय में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। उन्होंने खुद ही इस पार्टी का गठन किया था। हालांकि, इससे पहले उन्होंने कांग्रेस में लंबी पारी खेली। आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए जोगी राज्य विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य रहे।


शिक्षक से प्रशासक और शासक का सफर


अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राध्यापक के रूप कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद वे आइपीएस बने। इसी दौरान उनका चयन आइएएस के लिए किया गया। अविभाजित मध्य प्रदेश में जोगी रायपुर, इंदौर, देवास समेत कई जिलों के कलेक्टर रहे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर 1986 में नौकरी छोड़कर राज्यसभा सदस्य बने। रायगढ़ सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे। एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बने। 2004 में वह महासमुंद सीट से लोकसभा के लिए चुने गए। इसी चुनाव के दौरान हुई दुघर्टना के बाद वे कभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सके।