बिना डॉक्टर की सलाह लिए दवाइयां लेने के आदत बिगाड़ सकती है आपकी सेहत

मामूली स्वास्थ्य समस्याएं होने पर ज्य़ादातर लोग डॉक्टर की सलाह के बगैर अपने आप दवाएं लेते हैं जो उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। 



अति व्यस्तता, बढ़ती महंगाई और जानकारियों के लिए इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता की वजह से आजकल सेल्फ मेडिकेशन लोगों की आदत बनती जा रही है। बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह लिए लगातार फार्मासिस्ट को तकलीफ के लक्षण बताकर दवाएं लेने की आदत कुछ और गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकती है। आइए जानते हैं कि किस तरह की दवाओं का अधिक सेवन हमारे शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है।   


1. कफ सिरप


कब होती है ज़रूरत:  छाती में जकडऩ, सूखी खांसी, साथ में कफ निकलना, गले मेें दर्द और खराश।


साइड इफेक्ट: नॉजि़या, सुस्ती, याददाश्त में कमी, घबराहट, हाई ब्लडप्रेशर और दिल की धड़कन अनियमित होना। 


क्या करें: बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप न लें। मामूली खांसी से छुटकारा पाने के लिए नमक मिले गुनगुने पानी से गरारा करना, अदरक और तुलसी के काढ़े का सेवन भी कारगर होता है।


2. लैक्जेटिव मेडिसिन


कब होती है ज़रूरत: ऐसी दवाएं कब्ज़ दूर करने में मददगार होती हैं। आमतौर पर किसी भी सर्जरी या डिलीवरी के पहले पेट साफ करने के लिए ऐसी दवाएं दी जाती हैं। 


साइड इफेक्ट : अगर लंबे समय तक ऐसी दवाओं का सेवन किया जाए तो इससे डिहाइड्रेशन, पेट में दर्द, लूज़ मोशन, लैक्जेटिव कोलाइटिस, किडनी में स्टोन और हार्ट की मसल्स में कमज़ोरी हो सकती है। 


क्या करें: खूब पानी पिएं, रोज़ाना के भोजन में अमरूद और पपीता जैसे फाइबर युक्त फलों और हरी सब्जि़यों को प्रमुखता से शामिल करें। नाश्ते में मैदे से बनी चीज़ों के बजाय स्प्राउट्स, दलिया, उपमा और ओट्स का नियमित रूप से सेवन करें। 


3. एंटीबायोटिक्स


कब होती है ज़रूरत: आमतौर पर बुखार और किसी भी तरह की एलर्जी से होने वाली ज़ुकाम की स्थिति में ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जो बैक्टीरिया, फंगस और ऐसे ही अन्य परिजीवियों को नष्ट करने का काम करती हैं।


साइड इफेक्ट: ऐसी दवाओं के सेवन से त्वचा में एलर्जी और लूज़ मोशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर लंबे समय तक इनका सेवन किया जाए तो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ जाती है क्योंकि इनके प्रभाव से नुकसानदेह वायरस और बैक्टीरिया अपना रेजिस्टेंस डेवलप कर लेते हैं, जिससे उन पर दवाओं का कोई असर नहीं होता। वहीं दूसरी ओर एंटीबायोटिक्स के प्रभाव से शरीर में मौज़ूद अच्छे बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं।  


4. पेन किलर


कब होती है ज़रूरत: जोड़ों के दर्द, किसी भी दुर्घटना में चोट लगने, कटने या जलने की स्थिति में भी दर्द से राहत के लिए पेन किलर दिया जाता है।


साइड इफेक्ट: जी मिचलाना, गैस की समस्या, पेट दर्द और लूज़ मोशन आदि। इन दवाओं में कुछ ऐसे एडिक्टिव तत्व मौज़ूद होते हैं, जिससे लंबे समय तक सेवन करने वाले लोगों को इनकी लत लग जाती है। इसके अलावा ऐसी दवाएं लिवर और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनसे हेमरेज होने का भी खतरा होता है क्योंकि ये दवाएं खून को पतला बना देती हैं।


नोट: अचानक तकलीफ होने पर खुद दवाएं लेने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन हमेशा ऐसा करने की आदत नुकसानदेह हो सकती है।