अब शुगर फ्री तरबूज भी मिलेगा मार्केट में, लाल ही नहीं पांच रंग में किसानों ने उगाया तरबूज


भीषण गर्मी में शरीर को भरपूर पानी और ताजगी देने वाले तरबूज की एक नहीं अब पांच वैराइटी पांच रंगों में उपलब्ध हैं। पांच रंगों में पैदा होने वाले इन हाईब्रिड तरबूजों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की खूबी मौजूद है। इतना ही नहीं इसकी आरोही नाम की वैराइटी शुगर फ्री भी है। अन्नानास के साथ जेनेरिक प्रयोग करके इस प्रजाति को तैयार किया गया है, जिसके चलते नेचुरल शुगर की मात्रा कम होने के साथ-साथ इसमे अन्नानास की सुगंध के साथ हल्के खट्टेपन का स्वाद भी मिलता है।


ताईवान की शीड कंपनी द्वारा तैयार की गई तरबूज की इन पांच हाईब्रिड प्रजातियों में आरोही के अलावा जन्नत, मन्नत, विशाला और अनमोल नाम से भारत में लांच किया गया है। पूना की एक कंपनी ने इस बीज को एक्सपोर्ट करके किसानों तक पहुंचाया है। शामली में इसकी खेती करके किसान लाखों रुपये कमाने लगे हैं। कनो यू शीड वितरण कंपनी के तकनीशियन डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि नॉर्थ इंडिया में उनकी कंपनी किसानों को यह बीज और तकनीकी जानकारी उपलब्ध करा रही है। हरियाणा के समालखां में कम्पनी का रिर्सच फार्म जबकि करनाल में हेड ऑफिस है।


तरबूज की वैरायाटी और खूबियां
- विशाला : बाहरी छिलका पीला और अंदर से लाल। इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाता है, पानी की भरपूर मात्रा है।
- आरोही: बाहरी छिलका काला और अंदर से पीला। काफी हद तक शुगर फ्री और पानी की भरपूर मात्रा भी।
- जन्नत: बाहरी छिलका हरा और अंदर से लाल। मिठास अधिक, तीन से चार किलों के बीच साईज, पानी की भरपूर मात्रा।
- मन्नत: बाहरी छिलका काला व हरा और अंदर से हल्का लाल। इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में कारगर।
- अनमोल: बाहरी छिलका पीला और अंदर से लाल। पानी की भरपूर मात्रा के साथ साईज में भी बड़ा।


50 हजार की लागत में 3 लाख की आमदनी
शीड कम्पनी का दावा है कि 40 से 50 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च करके इन हाईब्रिड वैराइटी के 15 से 20 टन तरबूज उगाकर 3 लाख रुपये प्रति एकड़ तक की आमदनी ली जा सकती है। इस खर्च में मिट्टी की जांच से लेकर बीज, दवाई, खाद, तकनीकी सहयोग और माल के ट्रांसपोर्ट तक का खर्च शामिल है।  


दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने उगाई फसल
शामली जिले के गांव कसेरवा खुर्द निवासी अखिल देशवाल अपनी आठ बीघा जमीन में पांच तरह के तरबूजों की खेती कर रहे हैं। वह अधिवक्ता हैं और दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन सप्ताह में दो दिन शनिवार व रविवार वह अपने गांव में आकर खेती देखते हैं। इस बार उन्होने हाईब्रिड तरबूज की खेती की है। उन्होंने बताया कि वह अगर गन्ना उगाते हैं तो उनको मात्र 26 हजार रुपये बीघे की फसल का मूल्य बच पाता है, लेकिन तरबूज लगाने से वह 60 से 65 हजार रुपये प्रति बीघा कमा रहे हैं।  उनके अलावा गांव भारसी के अरविंद पवार ने भी इस बार हाईब्रिड तरबूज उगाया है। उनका तरबूज बाजार में 24 से 25 रूपये प्रतिकिलो के भाव से बिक रहा है। उनका कहना है कि गन्ने से दोगुनी आमदनी उन्हें इस तरबूज की खेती में हो रही है।