कई मान्यताओं से जुड़ा है खुशियों का यह त्योहार


खुशियों के त्योहार लोहिड़ी को लेकर कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इस त्योहार में सूर्यदेव एवं अग्निदेव के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। इस त्योहार का संबंध माता सती से बताया जाता है। मान्यता है कि जब मां सती ने हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया तब राजा दक्ष को अपनी भूल का अहसास हुआ। उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी और जब देवी मां सती ने पार्वती रूप में अगला जन्म लिया तो उन्होंने देवी पार्वती को उनके ससुराल में लोहड़ी के अवसर पर उपहार भेजकर अपनी भूल सुधारने का प्रयास किया। तभी से लोहड़ी पर नवविवाहित कन्याओं के लिए मायके से वस्त्र और उपहार भेजे जाते हैं।


इस त्योहार को लेकर यह भी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को नंदगांव भेजा। उस समय लोग मकर संक्रांति मनाने की तैयारी में व्यस्त थे। भगवान श्रीकृष्ण ने लोहिता का वध कर दिया। तभी से यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी-मुंदरी नामक लड़कियों को राजा से बचाकर दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने अच्छे लड़कों से उनकी शा‍दी कराई थी। लोहड़ी के अवसर पर अग्नि के आसपास लोग एकत्र होकर दुल्ला भट्टी की प्रशंसा में गीत गाते हैं। इस दिन तिल का सेवन करने की विशेष परंपरा है। यह त्योहार बसंत के आगमन का संदेश देता है।