क्या होता है हाइपोमेनिया और क्या हैं इसके लक्षण?


अच्छा स्वास्थ्य शारीरिक रूप से स्वस्थ शरीर भर नहीं, उससे कुछ ज्यादा होता है ; एक स्वस्थ व्यक्ति का दिमाग भी स्वस्थ होना चाहिए। बाइपोलर डिसऑर्डर की तरह मनोरोग यानी दिमाग़ से जुड़ी कोई भी बीमारी गंभीर होती है और इसमें ख़ास ख्याल के साथ ध्यान रखने की ज़रूरत होती है क्योंकि ज्यादातर लोग मनोरोग को हिंसा, उत्तेजना और असहज यौनवृत्ति जैसे गंभीर व्यवहार संबंधी विचलनों से जुड़ी बीमारी मानते हैं। जबकि, मनोरोग से पीड़ित ज़्यादातर लोग दूसरे सामान्य लोगों जैसा ही व्यवहार करते हैं और वैसे ही दिखते हैं।  


बाइपोलर डिसऑर्डर क्यों ख़तरनाक होता है?


आंकड़े बताते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर वैश्विक आबादी के करीब 2.7% लोगों को प्रभावित करता है। इस बीमारी को 'मूड डिसऑर्डर' मान लिया जाता है। जबकि, बाइपोलर डिसऑर्डर, विभिन्न चरणों में, खुद को अलग-अलग तरीकों से पेश कर सकता है। बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है, जिसे उन्माद और हाइपोमेनिया के रूप में समझा जा सकता है। ये दोनों समस्‍याएं दिनों से लेकर महीनों तक हो सकती हैं। व्यक्ति का मूड बार-बार बदल सकता है, वह ऊर्जा से भरा महसूस कर सकता है। इस दौरान, लोग पूरे दिन और रात में बहुत कुछ करते हैं, पर थकते नहीं हैं। रोगी का यह स्‍वभाव लंबे समय तक जारी रह सकता है। आपके व्यवहार में बदलाव हाइपोमेनिक भी हो सकता है, इसमें व्यक्ति कम ऊर्जा के साथ उदास महसूस कर सकता है। नींद आना और कुछ भी नहीं करने करना, बाइपोलर डिसऑर्डर से संबंधित लक्षण हो सकते हैं।


क्या है हाइपोमेनिया


हाइपोमेनिया एक मनोवैज्ञानिक शब्द है जिसका उपयोग उन्माद के समान मानसिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है लेकिन इसकी वजह साफ नहीं है। चिड़चिड़ापन और आक्रामकता, चरम और तीव्र खुशी की भावना, ज़रूरत से ज़्यादा आत्मविश्वास, बिना सोचे-समझे किसी काम को कर लेना, आत्मविश्वास अत्यधिक बढ़ना, कम नींद में होने के बावजूद फ्रेश महसूस करना, बातूनी होना और तेज़ी से बोलना। इसके अलावा विचारों-ऊर्जा से भरा महसूस करना, एकाग्रता की कमी, आसानी से विचलित हो जाना और नशे के प्रति अधिक झुकाव होना।



क्या हैं हाइपोमेनिया के कारण


दिमाग़ में सिरोटोनिन, डोपामाइन और न्यूरोटेंसिन हार्मोन का अधिक बनना और जेनेटिक कारण इसकी मुख्य वजह हैं। अगर परिवार के किसी सदस्य को बाइपोलर डिसऑर्डर रहा हो, तो हाइपोमेनिया की आशंका रहती है। इसके अलावा उच्च स्तर का तनाव रहना, नींद पूरी न लेना, स्टेरॉएड्स का इस्तेमाल, दवाएं या अल्कोहल का अधिक सेवन कारण हो सकते हैं।  


सचेत होने के संकेत क्या हैं?


भले ही मूड एपिसोड वैकल्पिक हो और आमतौर पर अस्थायी हो, लेकिन आत्महत्या के विचार लंबे समय तक चलने वाले हो सकते हैं। इसलिए, इसके संकेतों को अगर समय रहते पहचान लिया जाए, तो किसी की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।


- ख़तरे से भरे अनुभव होना।


- ड्रग्ज़ या अल्कोहल का ज़्यादा इस्तेमाल


- चिड़चिड़ापन या एकांतप्रिय हो जाना


- लोगों से मिलना जुलना बंद कर देना


- अत्यधिक उदासी, नकारात्मकता के दौर से गुज़रना और कम आत्मसम्मान का अनुभव करना


- बिना सोचे-समझे किसी काम को कर लेना


- किसी करीबी की मौत हो जाना या किसी खास रिश्ते का टूट जाना


- बातों में साफ हो जाना कि ज़िंदगी को ख़त्म करना चाहते हैं


- दवाओं का न लेना


Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इस लेख का उद्देश्य सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य की समझ को बढ़ावा देना है।