मूंगा पहनने वाले को नहीं होता पेट व सूखा रोग


मूंगा मंगल ग्रह का रत्न है, जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह क्रूर हो उसका मूंगा धारण करना अधिक लाभकारी है। ऐसे बालक जिनका जन्म 15 अप्रैल से 14 मई तक अथवा 15 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच हुआ हो, उनको मूंगा अवश्य पहनना चाहिए। यदि मूंगा मंगलवार को खरीदकर उसी दिन धारण किया जाए तो उत्तम होता है।


मंगल का अर्थ तो कल्याणकारी होता है इसमें इक प्रत्य के इस्तेमाल से बने शब्द मांगलिक का अर्थ भी शुभ ही होता है लेकिन जब यह शब्द मंगल ग्रह के संदर्भ में जुड़ जाते हैं तो इनका एक अर्थ नकारात्मक भी हो जाता है। ऐसे ही ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष को शांत करने के लिये भी कई सुझाव दिये जाते हैं जिनमें से एक है पीड़ित जातक का मूंगा रत्न पहनना। मंगल की पीड़ा को शांत करने के लिए जातकों को मूंगा धारण करना चाहिये।


मूंगा यथासंभव सोने की अंगूठी में जड़वाया जाना चाहिए। यदि धारक के लिए सोना खरीदना संभव न हो तो चांदी में थोड़ा सोन मिलाकर या तांबे की अंगूठी में मूंगा जड़वाया जा सकता है। मूंगा पहनने वाले को पेट दर्द व सूखा रोग नहीं होता है। हृदय के रोग के लिए भी मूंगा लाभकारी होता है।


इस मंत्र का करें उच्चारण
मूंगा किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार को सूर्योदय के एक घंटे बाद दाएं हाथ की अनामिका उंगली में में धारण करना चाहिए। मूंगा धारण करते समय अंगूठी का पूजन करने के बाद ऊं अं अंगारकाय नम: मंत्र का दस हजार बार उच्चारण करें।


इन स्थितियों में पहनना चाहिए मूंगा


- कुंडली में अगर मंगल राहु या शनि के साथ कहीं भी स्थित हो तो मूंगा पहनना अत्यांत लाभदायक सिद्ध होता है।


-यदि मंगल प्रथम भाव में स्थित हो तो मूंगा धारण करना लाभकारी होता है।


-कंडली में मंगल अगर तीसरे स्थान पर हो तो भाई-बहनों में मदभेद होता , इसे दूर करने के लिए मूंगा पहनना चाहिए।


-कुंडली में यदि मंगल चतुर्थ भाव में हो तो जीवन-साथी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता  है। अत: ऐसे जातक मूंगा अवश्य धारण करें।


-कुंडली में मंगल सप्तम या द्वादश भागव में शुभ नहीं होता, इससे जीवन साथी को कष्ट होता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति को भी मूंगा पहनना चाहिए।