कोरोना पीडि़त की लाश ले जाने के लिए आश्वासन के बाद भी नहीं भेजा वाहन।


लखनऊ । मां के शव से थोड़ी दूर पिता से लिपटकर जार-जार रो रहे यश के आंसू अब सूख चुके हैं। ऐसा किसी के दिलासे से नहीं हुआ, बल्कि संवेदनहीन व्यवस्था उसके अश्कों को पूरा सोख चुकी है। रात गहराती जा रही है और साथ ही साथ चिंता भी। कोरोना के संक्रमण से दम तोडऩे वाली मां का अंतिम संस्कार कैसे होगा, यही एक सवाल बार-बार जेहन में हथौड़े सा बज रहा है। धीरे-धीरे नौ घंटे गुजर चुके हैं। रात के दस बजने को हैं लेकिन, सीएमओ की टीम ने अब भी कोई वाहन नहीं भेजा। हालांकि, यश सीएमओ कार्यालय की ओर से मिले झूठे आश्वासनों पर भरोसा करके अब भी सड़क पर टकटकी लगाए हुए है। इधर, घंटों से उसकी हालत देख रहे लोगों ने अब अफसरों की संवेदनहीनता को कोसना शुरू कर दिया।


शुक्रवार रात करीब 10 बजे की यह मार्मिक तस्वीर नीरा नर्सिंग होम की है। रो-रोकर बदहवास हो चुका यश बीच-बीच में बोल पड़ता है, 'शुक्रवार दोपहर एक बजे से लगातार सीएमओ की टीम से गुहार कर रहा हूं कि कोरोना से दम तोड़ चुकी मम्मी का शव ले जाने की व्यवस्था करा दीजिए। कभी रवि तो कभी गौरव फोन उठाते हैं और गाड़ी पहुंच जाएगी, कहकर फोन काट देते हैं। इस बीच कुछ लोगों ने यश की मदद के लिए सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल और कोविड-19 के नोडल प्रभारी डॉ. केपी त्रिपाठी को फोन करने की कोशिश की, मगर रात नौ बजे ही इनका नंबर डायवर्ट हो चुका है। शाम को ही डॉ. केपी त्रिपाठी शीघ्र वाहन पहुंचने को लेकर आश्वस्त कर चुके हैं। उधर, मरीज की मौत के बाद आइसीयू को सील किया जा चुका है। यश के पिता राजेश जायसवाल को जैसे काठ मार गया है।


स्नातक कर रहे यश जायसवाल का कहना है कि खांसी से पीडि़त मम्मी को बुधवार को नीरा नर्सिंग होम में दिखाया। गुरुवार को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। मुझे और पापा को भी बुखार आ रहा है। हम दोनों भी कोरोना जांच कराकर आए हैं। शुक्रवार दोपहर 12.50 बजे मम्मी की मृत्यु हो गई।


'सीएमओ टीम ने बहुत ही संवेदनहीन व्यवहार किया है। बुधवार से परेशान हैं लेकिन, कोई भी इलाज कराने के लिए नहीं आया। नर्सिंग होम वाले कह रहे हैं कि खुद से शव ले जाओ।'