भारत समेत दुनिया भर में हर बीतते दिन के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। राहत की बात ये है कि संक्रमण बढ़ने के साथ ही भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, कोरोना संक्रमण के लक्षण भी लगातार बढ़ रहे हैं। शुरूआत में कोरोना संक्रमण के मात्र चार ही लक्षण थे, जो अब 11 हो चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना वायरस के 11 लक्षणों की सूची जारी की है। जानते हैं- क्या हैं ये लक्षण और कोरोना संक्रमण से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण सवालों के जवाब।
कोरोना वायरस के लक्षण
शुरूआत में कोरोना वायरस के चार ही लक्षण सामने आए थे। ये चार लक्षण थे, तेज बुखार एवं खांसी, गले में खरास होना, बहती या बंद नाक और सांस लेने में तकलीफ होना। अब जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण मरीजों की संख्या बढ़ रही है, इसके लक्षणों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना के 11 लक्षणों को आधिकारिक मंजूरी दी है। इसके साथ ही मंत्रालय ने इन लक्षणों के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी भी साझा की है। जो नए लक्षण सामने आए हैं, उसमें बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरना, दस्त, उल्टी और बलगम में खून आना शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक गंध या स्वाद का एहसास खो जाना भी कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों में शामिल है। WHO समेत दुनिया भर के शोधकर्ता, वैज्ञानिक व डॉक्टर कोरोना वायरस के अन्य लक्षणों की पहचान करने में जुटे हुए हैं। कई रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के स्वरूप में लगातार परिवर्तन भी हो रहा है। हालांकि इसे लेकर कई अलग-अलग मत हैं।
कोरोना से बचाव के 15 तरीके
भारत सरकार समेत डब्ल्यूएचओ, कोरोना वायरस के लक्षणों के साथ ही इससे बचाव के उपायों के बारे में भी लोगों को लगातार जागरुक कर रहे हैं। बयान के इन उपायों में 15 जरूरी टिप्स को शामिल किया गया है। इसमें उचित दूरी रखते हुए दूसरों का अभिवादन करने, सार्वजनिक स्थानों पर दो गज (6 फीट) की दूरी रखने और दोबारा प्रयोग होने वाला घर पर बना मास्क या फेस कवर प्रयोग करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा बिना वजह आंख, नाक व मुंह को न छूने, श्वसन क्षमता बनाए रखने, बार-बार हाथ धोने, तंबाकू उत्पादों का सेवन न करने व सार्वजनिक स्थानों पर न थूकने, अक्सर छूई जाने वाली सतहों को नियमित साफ व कीटाणु रहित रखने, अनावश्यक यात्रा न करने, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाने, आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने, संक्रमित अथवा देखभाल में जुटे लोगों से भेदभाव न करने, विश्वसनीय सूचनाओं पर भरोसा करने, कोई भी लक्षण होने पर केंद्र की टोल फ्री हेल्पलाइन 1075 या राज्य की हेल्पलाइन पर संपर्क करने और मानसिक तनाव अथवा परेशानी होने पर मनोसामाजिक सहायता सेवाओं की मदद लेने की सलाह दी गई है।
कोरोना वायरस हवा में फैलता है या नहीं
आकाशवाणी समाचार (AIRNews) से बातचीत में दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के कोरोना विशेषज्ञ डॉ तन्मय तालुकदार ने कोरोना के हवा में फैलने की स्थिति को स्पष्ट किया है। उनके मुताबिक संक्रमित व्यक्ति के बोलने, छींकने या खांसने से निकलने वाले ड्रापलेट अगर किसी की आंख, नाक या मुंह में चले जाएं तो वह व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। कई बार ड्रॉपलेट से भी छोटे कण (एयरसोल) हवा में घूमते रहते हैं। WHO के अनुसार अगर कहीं ताजा हवा आने के लिए उचित वेंटिलेशन नहीं है तो ऐसे में वहां बिना मास्क मौजूद लोग संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी एयरसोल हो सकता है। इसलिए लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से मना किया जाता है। इसीलिए लोगों को मास्क पहनना भी जरूरी है।
ऑक्सीजन सैचुरेशन होने पर क्या करें
कोरोना के ज्यादातर मरीजों में ऑक्सीजन सैचुरेशन (ऑक्सीजन की कमी) नहीं होता है। इसी लक्षण के आधार पर कोरोना संक्रमित मरीज को घातक, मध्यम और हल्के लक्षण वाले मरीजों की सूची में शामिल किया जाता है। ऑक्सीजन सैचुरेशन के अलावा भी इसके कुछ अन्य मानक तय हैं। डॉ तन्मय तालुकदार के अनुसार ऑक्सीजन सैचुरेशन नापने के लिए मरीज ऑक्सी पल्स मीटर का इस्तेमाल कर सकता है। इसे रक्त में ऑक्सीजन का स्तर पता चलता है। चूंकि वायरस सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करता है, ऐसे में ज्यादा संक्रमण होने पर मरीज में ऑक्सीजन कम होने लगेगी। ऑक्सीजन लेवल अगर 90 से कम आता है तो इसे गंभीर माना जाता है। 94 से कम ऑक्सीजन स्तर वाले मरीज मध्यम श्रेणी में और 95 से ज्यादा ऑक्सीजन स्तर वालों को हल्के लक्षण वाले मरीजों की श्रेणी में रखा जाता है।
कोरोना संक्रमण के साथ तेजी से बढ़ रहा रिकवरी रेट भी
कोरोना के लक्षण और मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ने के बावजूद भारतीयों के लिए अच्छी खबर ये है कि देश में कोरोना मुक्त होने वाले मतलब संक्रमण से सही होने वाले मरीजों का प्रतिशत भी तेजी से बढ़ रहा है। 25 मार्च 2020 को जब पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की गई, देश में कोरोना मुक्त होने वाले मरीजों का रिकवरी रेट मात्र 7.10 फीसद था। 15 अप्रैल 2020 को रिकवरी रेट बढ़कर 11.42 फीसद, 3 मई को बढ़कर 26.59 प्रतिशत, 18 मई को 38.29 फीसद, 31 मई को 47.76 फीसद और अनलॉक- दो में 15 जुलाई 2020 को रिकवरी रेट 63.24 फीसद पहुंच चुका है। इसका मतलब है कि देश में जिस तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से मरीज ठीक भी हो रहे हैं।