जानें नाग पंचमी के दिन नागों को क्यों पिलाया जाता है दूध


आज नाग पंचमी है। पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भय तथा कालसर्प योग का शमन होता है। ऐसे में आज नागों को दूध पिलाने की भी मान्यता है। 


क्यों पिलाया जाता है नागों को दूध 
भविष्यपुराण के अनुसार, सागर मंथन के दौरान नागों ने अपनी माता की बात नहीं मानी थी जिसके चलते उन्हें श्राप मिला था। नागों को कहा गया था कि वो जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे। घबराए हुए नाग ब्रह्माजी की शरण में पहुंच गए और उनसे मदद मांगने लगे। तब ब्रह्माजी ने कहा कि नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने यह उपाय पंचमी तिथि को ही बताया था। वहीं, आस्तिक मुनि ने सावन मास की पंचमी तिथि को नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था। इन्होंने नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें बचाया था। उस समय मुनि ने कहा था कि जो भी पंचमी तिथि को नागों की पूजा करेगा उसे नागदंश से कोई डर नहीं रहेगा।


क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी 
एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब समुंद्र मंथन हुआ था तब किसी को भी रस्सी नहीं मिल रही थी। इस समये वासुकि नाग को रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था। जहां देवताओं ने वासुकी नाग की पूंछ पकड़ी थी वहीं, दानवों ने उनका मुंह पकड़ा था। मंथन में पहले विष निकला था जिसे शिव भगवान में अपने कंठ में धारण किया था और समस्त लोकों की रक्षा की थी। वहीं, मंथन से जब अमृत निकला तो देवताओं ने इसे पीकर अमरत्व को प्राप्त किया। इसके बाद से ही इस तिथि को नाग पंचमी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है।