एंटीवायरल रेमडेसिविर से खुला कोरोना के सस्ते इलाज का रास्ता


लखनऊ । कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के इलाज का अब आधे खर्च में संभव होगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइसीएमआर) ने रेमडेसिविर ( एंटीवारयल) दवा से इलाज की मंजूरी पहले ही दे रखी है, लेकिन नया रास्ता इसके प्रयोग को लेकर खुला है। गंभीर मरीजों को महज पांच दिन की डोज ही फायदा पहुंचा देगी। ऐसा होने पर रेमडेसिविर से इलाज 40 - 50 फीसद सस्ता हो जाएगा। अभी तक यह कोर्स दस दिन का होता था, जिस पर चार लाख रुपये तक फुंक जाते थे।


संजय गांधी पीजीआइ के निश्चेतना (एनेस्थेसिया) विभाग में आइसीयू एक्सपर्ट प्रोफेसर एसपी अंबेश ने रेमडेसिविर के पांच दिन के प्रोटोकाल पर नजर रखे हैं। उनका कहना है कि इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थेसिया के जरिए नए प्रोटोकाल को लागू करने पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए न्यू इंग्लैंड मेडिकल जर्नल के शोध का हवाला देते हैं, जिसमें 397 मरीजों पर इस दवा का प्रभाव देखा गया। प्रक्रिया में दुनियाभर के कई सेंटर शामिल हुए। शुरुआती नतीजे अपेक्षा के अनुरूप आए।


कोरोना संक्रमित के साथ अस्पताल में भर्ती उन मरीजों को भी शोध में शामिल किया गया, जिनमें निमोनिया का रेडियोलॉजिक जांच से प्रमाण और सेचुरेटेड ऑक्सीजन की मात्रा 94 फीसदी या उससे कम थी। 397 मरीजों में 200 को महज पांच दिन ही रेमडेसिविर की डोज दी गई। बाकी मरीज़ों को 10 दिनों की अवधि के लिए रेमडेसिविर दिया गया। देखा गया कि पांच और दस दिन दोनों में दिक्कत का अंतर महज 10 फीसद आया। यानी पांच दिन रेमडेसिविर लेने वाले मरीजों में परेशानी कई प्वाइंट पर केवल 10 फीसद अधिक रही, जो खास अंतर नहीं है। प्रो. अंबेश कहते है कि पांच दिन की प्रोटोकॉल को लागू करने से इलाज के खर्च में काफी कमी आएगी।


इस स्थिति में रेमडेसिविर का इस्तेमाल


कोरोना की चपेट में आने वाले ऐसे मरीज जिनकी पहले से दिल, किडनी, डायबिटीज या इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं चल रही होती है, उनमें संक्रमण तेजी से असर करता है। ऐसे मरीज़ों में रेमडेसिविर की जरूरत पड़ सकती है। प्रोफेसर अंबेश कहते हैं, इस दवा का इस्तेमाल हम मरीज की स्थिति पर तय करते हैं। उम्मीद है, नया शोध भारत के लिहाज से बेहद कारगर रहेगा।