कोरोना काल में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) और तनाव के मामले बढ़े जरूर हैं, पर इसका घरेलू समाधान भी है। ताजा शोध से पता चला है कि काले तिल के नियमित सेवन से हाइपरटेंशन को काबू में रखा जा सकता है। थाईलैंड के महिडोल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उच्च रक्तचाप पर अपने शोध के बाद यह दावा किया है।
अध्ययन में पाया गया कि चार सप्ताह तक काले तिल के सेवन से रक्तचाप में छह प्रतिशत तक की कमी आई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि तिल में मौजूद मैग्निशियम,उच्च पॉलीसेचुरेटेड फैटी एसिड,फाइटोस्टेरॉल और लिगनान समेत अन्य तत्व रक्तचाप को दुरुस्त रखने में मददगार हैं।
भोजन में मैग्निशियम की कम मात्रा रहने से रक्तचाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। क्लीनिकल ट्रॉयल में भी पाया गया कि मैग्निशियम लेने से रक्तचाप घटाने में मदद मिलती है।
इसके पहले ऑस्ट्रेलिया के मेंजिस हेल्थ इंस्टीट्यूट क्वींसलैंड एंड स्कूल ऑफ मेडीसिन ने भी अपने अध्ययन में पाया था कि काले तिल का सेवन रक्तचाप को कम रखने में सहायक है।
काला तिल खनिजों का खजाना:
काला तिल मैगनीज, मैग्निशियम, कॉपर, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस और जिंक जैसे खनिज तत्वों का स्रोत है। इसके अलावा इसमें विटामिन बी-1 और पाचन को सुगम बनाने वाले फाइबर भी पाए जाते हैं।
शारीरिक सक्रियता जरूरी:
शोधकर्ताओं ने रक्तचाप घटाने के लिए शरीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय रहने, स्मोकिंग से दूर रहने तथा कॉफी-चाय और कोला जैसे पेय से दूर रहने की सलाह दी है। गौरतलब है कि हाइपरटेंशन का हृदय की बीमारियों और असामयिक मौत से सीधा संबंध है।
क्या है रक्तचाप:
रक्तचाप का अभिप्राय इस बात से है कि अपकी धमनियों पर रक्त कितना दबाव डालता है। यदि किसी का रक्तचाप 120/80 एमएम एचजी मापा गया, तो इसमें पहला नंबर यानी 120 उस दबाव को दर्शाता है जो हृदय द्वारा रक्त को पंप करते समय उत्पन्न होता है। इसे सिस्टोलिक रक्तचाप भी कहते हैं। दूसर नंबर यानी 80 उस दबाव को दर्शाता है जब हृदय शिथिल होकर खून को अपने अंदर भरता है, इसे डायस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं।