पौष पूर्णिमा 2020: जानिए तिथि, समय और पूर्णिमा व्रत महत्व


पौषी पूर्णिमा आज पूरे में स्नान-दान के साथ मनाई जा रही है। पौषी पूर्णिमा को देश के कुछ हिस्सों में शांकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं। पौष पूर्णिमा को हिन्दू कैलेंडर में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। यह दिन हिन्दू कैलेंडर के पौष मास की पूर्णिमा तिथि को आता है। पौषी पूर्णिमा के मौके हजारों श्रद्धालु गंगा, गोदावरी, नम्रदा और क्षिप्रा जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाएंगे। खासकर जो लोग आज गंगा जी पहुंच सकेंगे वह गंगा स्नान करेंगे। इस की पौष पूर्णिमा 10 जनवरी को यानी आज शुक्रवार को है।


माघ महात्म्य : वेणी माधव को प्रणाम फिर स्नान


माघ महीने में कल्पवास और संगम स्नान का विशेष महत्व है। इस पवित्र महीने की शुरुआत हमेशा भगवान वेणी माधव को प्रणाम कर की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान वेणी माधव के आशीर्वाद से सभी देवी देवताओं का आशीष मिलता है। जूना अखाड़े के प्रमुख साधु संत संरक्षक महंत हरिगिरि की अगुवाई में शुक्रवार सुबह 11 बजे भगवान वेणी माधव के दारागंज स्थित मंदिर में प्रणाम और आरती कर गंगा का स्नान करेंगे। महंत हरिगिरि ने बताया कि जब ब्रह्मा जी ने प्रयाग में यज्ञ करने का संकल्प लिया था तो भगवान नारायण से यज्ञ की रक्षा के लिए कहा। भगवान ने कहा कि वो खुद यज्ञ की रक्षा करेंगे। देवी देवताओं ने सवाल किया कि अकेले कितने रूपों में यज्ञ की रक्षा करेंगे तो भगवान नारायण ने कहा वे द्वादश रूप में आएंगे। यही कारण है कि भगवान यहां द्वादश माधव के रूप में विद्यमान हैं। मान्यता है कि यहां प्रणाम करने से दुनिया के सभी देवी देवता आशीष देते हैं। माघ महीने में स्नान का पूरा पुण्य मंदिर दर्शन के बाद ही मिलता है।


पौष पूर्णिमा के मौके पर प्रयागराज में गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम पर हजारों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई।


पौष पूर्णिमा का महत्व-
पौष पूर्णिमा के दिन देशभर के हिन्दू श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम प्रयागराज पर स्नान के लिए एकत्र होते हैं। मान्यता है कि आज के दिन संगमें स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यहां तक यदि किसी ने पूर्व जन्म में भी भूल से कोई पाप किया है तो उसका पाप नष्ट हो जाता है और मोक्ष प्राप्त होता है। जो लोक प्रयागराज नहीं जा पाते वह, नासिक, उज्जैन या हरिद्वार में पवित्र डुबकी लगाते हैं।


पौष पूर्णिमा का दूसरा महत्व यह भी है कि मां दुर्गा आज के दिन ही मां शांकंभरी देवी के नाम से अवतरित हुई थीं। ऐसे में बहुत से भक्त आज के दिन मां शांकंभरी देीवी की पूजा अराधना करते हैं।


पूर्णिमा व्रत पूजा विधि-
आज के दिन लोग जल्दी सबेरे उठकर नित्य नियम बनाते हैं और गंगा या किसी प्रवित्र नदी या जलाशय में स्नान करते हैं। बहुत से लोग सूर्योदय का स्नान सबसे अच्छा मानते हैं। इसके बाद लोग शिवलिंक पर जलाभिषेक करते हैं और देवी देवताओं की पूजा करते हैं। आज के दिन भगवान सत्यनारायण यानी भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। कुछ लोग तो आज के दिन भगवान सत्यनारायण का व्रत भी करते हैं। 


पौष पूर्णिमा तिथि समय - 
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 2:34AM 10 जनवरी 2020
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 12:50AM 11 जनवरी 2020